पुस्तक : प्रमोद भार्गव की चुनिंदा कहानियाँ, लेखक: प्रमोद भार्गव /प्रकाशक: प्रवासी प्रेम पब्लिशिंग, भारत, 3/186 राजेंद्र नगर, सेक्टर -2 , साहिबाबाद, गाजियाबाद - 201 005, मूल्य: 535 रुपए।
सम-सामयिक टिप्पणियों से लेकर पौराणिक एवं आध्यात्मिक चिंतन तक, विविध विषयों को लेकर नियमित लेखन से जुड़े प्रमोद भार्गव जी की कहानियाँ सामाजिक परिवेश के अनगिनत पहलू समेटे हैं। विडंबनाओं को भी उकेरती हैं और मानसिक द्वंद्व का भी शाब्दिक खाका खींचती हैं। हाल ही में प्रकाशित कहानियों का संकलन ‘प्रमोद भार्गव की चुनिन्दा कहानियाँ’ उनकी बीस कहानियों का संकलन है। प्रवासी प्रेम पब्लिशिंग, भारत से छपी इस किताब में शामिल कहानियाँ इंसानी मन की विविध छवियों से मिलवाती हैं। मानवीय बर्ताव का प्रभावी चित्रण लिए हैं। पुस्तक को समर्पित करने के भाव भी स्त्री जीवन को ही संबोधित हैं। प्रमोद भार्गव जी लिखते हैं – ‘उन स्त्रियों को जो रूढ़ हो चुकी वर्जनाओं को तोड़ने का साहस रखती हैं।' सामयिक लेखन की निरंतरता के साथ ही प्रमोद भार्गव जी के चार कहानी संग्रह, पाँच उपन्यास एवं पर्यावरण, संस्कृति, आर्थिकी और विज्ञान सहित विविध विषयों पर तेरह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। चुनिन्दा कहानियाँ लिए इस किताब में बीस कहानियाँ शामिल हैं।
आज के परिवेश की भयावह होती स्थिति से उपजे डर से घिरी मनःस्थिति लिए कहानी 'कोख में शिशु' अजन्मे बच्चे और माँ के संवाद को लिए है। साथ ही गाँव से लेकर शहर तक असुरक्षित हालातों में जीवन को घेरते भय को भय को भी उकेरती है। आज के दौर में स्त्रियों के सम्मान और सुरक्षा से जुड़ी चिंतनीय स्थितियाँ स्पष्ट दिखती हैं। मन और जीवन दोनों की उलझनों को प्रभावी ढंग से उकेरती है। 'पहचाने हुए अजनबी' कहानी वैवाहिक जीवन में दूरियों और दुर्व्यवहार दोनों का खाका खींचती हैं। यह कहानी वैवाहिक दुष्कर्म की पीड़ा को सामने रखते हुए साझे जीवन में गरिमापूर्ण जुड़ाव के माने समझाती है। समसामयिक लेखन और पत्रकारिता से लम्बा जुड़ाव रखने के चलते प्रमोद भार्गव जी कहानियों के ऐसे विषय आज समाज-परिवार में बढ़ती बहुत विकृतियों को सामने रखते हैं। उनकी कहानियों के विषयों की विविधता और वर्तमान हालातों से जुड़ा विषय का ट्रीटमेंट प्रभावित भी करता है और विमर्श की राह भी खोलता है। बदलते मन-जीवन से जुड़े पक्षों को लेकर ठहरकर सोचने को विवश करता है। यह कटु सच है कि हालिया बरसों में वैवाहिक सम्बन्धों में भी बिखराव और हिंसक बर्ताव ने अपनी जगह बना ली है। अधिकतर मामलों में स्त्रियाँ ही यह दंश झेलती हैं।
समाज की बंधी-बंधाई रूढ़ियों को तोड़ते निर्णय से जुड़ा कथानक 'पूर्ण बंदी', 'हौसले की उड़ान' और 'सती का 'सत' भी बहुत सी वर्जनाओं के बावजूद स्त्रियों द्वारा अपने अस्तित्व की सार्थकता समझने से जुड़े हैं। विपरीत परिस्थितियों से करने के बजाय खुद को साबित करने की राह चुनने के हौसले को लिए हैं। असल में देखा जाए तो किरदार समग्र समाज को दिशा दिखाते हैं। बदलाव का आधार बनाते हैं। नयेपन की स्वीकार्यता को बल देते हैं। हालांकि बहुत से मोर्चों पर जूझते किरदार कई बार उलझते भी दिखते हैं पर आमजीवन भी ऐसे ही उतार-चढ़ाव लिए होता है। भूमिका में लिखा भी है कि 'कहानीकार भली-भाँति जानता है कि उसने जो कहानियाँ रची हैं, क्यों रची हैं ? वो कौन से कारण और घटनाएँ रही होंगी, जो कथ्य का आधार बनीं।' संग्रह की कुछ कहानियाँ ग्रामीण परिवेश और जन-जीवन को भी लिए हैं। आंचलिक शब्दों और जमीनी अंदाज़ में इन कथाओं को लिखा गया है। 'गंगा बटाईदार', 'किसानी', 'दहशत' जैसी कहानियाँ ऐसी ही शाब्दिक अभिव्यक्ति लिए है। विज्ञान से जुड़े लेखन का लंबा अनुभव होने के चलते इस संग्रह में भी तकनीक और विज्ञान से जुड़ी कथाएँ शामिल हैं। लेखक ने अपनी बात कहते हुए लिखा भी है कि 'प्रोद्योगिकी और विज्ञान भी मेरी कहानियों में पर्याप्त है। मेरी कहानियों केवल कालबोध भर नहीं है, बल्कि ये परिवेश बोध की भी कहानियाँ हैं। यही वजह है कि उनके विषयों में जीवंत पहलुओं सार्थक रूप से अभिव्यक्त हैं।
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