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Apr 1, 2024

कविताः बकरी

 - हरभगवान चावला





बकरी - 1

बकरी ने कभी शहर नहीं देखा था 

पर उसने जाये थे, जितने भी मेमने 

वे सब शहर गए थे 

और कभी लौटकर नहीं आए थे ।

बकरी - 2

अचानक किसी दिन 

बकरी के देखते-देखते 

ग़ायब हो जाता है 

उसका बच्चा 

बकरी उसे खोजती है 

हर संभावित जगह पर 

नहीं मिलता तो 

उसकी जान की ख़ैर मनाती है

और मनाती ही रहती है 

उसके मर जाने के बाद भी ।

सम्पर्कः 406, सेक्टर-20, सिरसा-125055 ( हरियाणा)

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