वर्ष- 16, अंक- 3
नारियाँ इसलिए अधिकार चाहती हैं
कि उनका सदुपयोग
करें और पुरुषों को उनका दुरुपयोग करने से रोकें। - प्रेमचंद
इस अंक में
अनकहीः नारी शक्ति का वंदन... - डॉ. रत्ना वर्मा
पर्व - संस्कृतिः प्रकृति की ऊर्जा का प्रतीक -देवी दुर्गा - प्रमोद भार्गव
यात्राः 'घुमक्कड़ी' आखिर खुशहाल मिठाई का स्वाद ही तो है - साधना मदान
जीव- जंतुः जी लेने दो - दीपाली ठाकुर
सेहतःआरोग्य की कुंजी है भरपूर हास्य
कृषिः खीरा कुम्हड़ा, खरबूजा, तरबूज... - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन, सुशील चंदानी
कविताः घट -स्थापना - डॉ. कविता भट्ट
कहानीः गवाही - राजनारायण बोहरे
दो लघु व्यंग्यः 1. दवा, 2. यस सर - हरिशंकर परसाई
व्यंग्यः फाइल महिमा - अश्विनी
कुमार दुबे
कविताः मैं नेह -लता हूँ - प्रणति ठाकुर
कालजयी कहानीः उधड़ी हुई कहानियाँ - अमृता
प्रीतम
कविताः मेरा छोटा- सा गाँव
- निर्देश निधि
लोक कथाः तराजू और चील - डॉ. उपमा शर्मा
प्रेरकः आम्रपाली और भिक्षुक - निशांत
लेखकों की अजब गज़ब दुनियाः खतरनाक और हत्यारे लेखक - सूरज प्रकाश
लघुकथाः दो तितलियाँ और चुप रहने वाला
लड़का - प्रबोध
गोविल
किताबेंः साँझ हो गई : सुगन्धित भावनाओं की सादगी -
डॉ. उषा लाल
1 comment:
पुनः एक सशक्त अंक की हार्दिक बधाई। पूरी टीम को शुभकामनाएँ।
निर्देश निधि की और ऐसी कविताओं को अगले अंक में स्थान मिलना चाहिए।
रमेश कुमार सोनी
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