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Oct 1, 2023

कविताः घट -स्थापना

 - डॉ. कविता भट्ट






हे पिता मेरे !

करते हुए आज

घट- स्थापना

स्नेह -जल भरना

घट-भीतर

और अक्षत कुछ

मेरे नाम के

उसमें डाल देना

कुछ जौ बोना

हरियाली के लिए

तरलायित

स्नेह में भिगोकर,

फलेगी पूजा

बिन जप-पूजन

मेरे नाम से

अभिमंत्रित कर

नित्य सींचना

ओ ! मेरे सूत्रधार

गर्भ में बोया

है मुझे तुमने ही

अंकुरित हूँ

अब प्रथम बीज

हूँ शैलपुत्री

बनूँगी सिद्धिदात्री

ध्यान रखना !

नष्ट नहीं हो जाए

गर्भ में अंकुरण !!


2 comments:

bhawna said...

गहन भाव लिए सम्वेदनशील अभिव्यक्ति

Anonymous said...

भावपूर्ण सुंदर कविता। सुदर्शन रत्नाकर