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Oct 1, 2023

लेखकों की अजब गज़ब दुनियाः खतरनाक और हत्यारे लेखक

  - सूरज प्रकाश
• जोहान जैक अंटरवेजर (1950 – 1994) ऐसे आस्‍ट्रियाई लेखक रहे, जिन्‍होंने यूरोप और लॉस एंजेल्‍स में बारह वेश्‍याओं की हत्‍या की थी। 1974 में उनकी पहली शिकार 18 बरस की मार्गरेट थी जिसे उन्‍होंने उसी की ब्रा से गला घोंटकर मार डाला था। अंटरवेजर को आजीवन कारावास की सज़ा हुई। जेल में ही अंटरवेजर ने कविताएँ, कहानियाँ और अपनी आत्‍मकथा लिखी। आत्‍मकथा पर बाद में फिल्‍म भी बनी। जेल में पंद्रह बरस गुजारने के बाद बुदि्धजीवियों के अनुरोध पर वे रिहा किए गए; लेकिन अगले ही बरस 6 और वेश्‍याओं की हत्‍या की और बाद में तीन और की हत्‍या की। वे 1992 में मियामी में गिरफ्तार किए गए और आस्‍ट्रिया लाए गए। एक बार फिर जेल में बंद हुए। वहाँ उन्‍होंने जूतों के तस्‍मों से गला घोंटकर आत्‍महत्‍या कर ली।

• फ्रांकोइस विलौं (पेरिस में 1431 या 1432 में जन्‍म,1463 में गायब) । फ्रांकोइस विलौं को बहुत बड़ा कवि माना जाता है। वे शापित कविता ने मौलिक कवि थे। जब बच्‍चे ही थे, तो पिता का साया सर से उठ गया। पढ़ाई के लिए माँ  ने गुईल्‍यूम विलौं के पास भेजा। फ्रांकोइस विलौं कभी क्‍लास में नज़र आते तो कभी वेश्‍यालयों या भटियारखानों में। एक बार एक खूबसूरत लड़की के चक्‍कर में एक बिगड़े हुए पादरी फिलिप सेरमाइस के साथ पंगा ले बैठे। मार पिटाई में फ्रांकोइस विलौं ने खंजर निकाला और फादर का काम तमाम कर दिया। हत्‍या के जुर्म में पेरिस से भागना पड़ा। 1456 में माफी मिली; लेकिन दोस्‍तों के साथ लूटपाट में शामिल हो गए। अपना जुल्‍म कबूल करने पर कई बार अंदर बाहर होते रहे। हत्‍या के जुर्म में फाँसी की सज़ा हुई। अपनी मौत का इंतजार करते हुए मास्‍टर पीस Ballade des pendus लिखी। किस्‍मत के धनी रहे कि मौत की सज़ा पेरिस से दस बरस के निष्‍कासन की सज़ा में बदल दी गई। फिर वे कहाँ गए कोई खबर नहीं।

लुई आल्‍तुस्‍सर 

• लुई आल्‍तुस्‍सर (1918–1990) फ्रांसीसी मार्क्‍सवादी दार्शनिक थे जो लेवी स्‍ट्रॉस और लकान जैसे दार्शनिकों की बराबरी पर ठहरते थे। दूसरे विश्‍व युद्ध भाग लिया और जर्मन सैनिकों द्वारा घेर लिये गए। युद्धबंदी कैदी के रूप में पाँच बरस तक कैंपों में रहे। दो बरस बाद पता चला कि वे मानसिक रोगी हैं। अस्‍पताल में भर्ती कराए गए। अपनी मृत्‍यु तक वे इसी तरह से अस्‍पताल के अंदर बाहर होते रहे। जब 62 बरस के थे , तो  अपनी पत्‍नी का गला घोंटकर उसकी हत्‍या कर दी। अपनी आत्‍मकथा The Future Lasts a Long Time में उन्‍होंने इस हत्‍या का लोमहर्षक बयान लिखा है। आत्‍मकथा ने फ्रांस में धूम मचा दी थी।  हालांकि उन पर हत्‍या का मुकदमा चला; लेकिन तीन विशेषज्ञों का मानना था कि ये हत्‍या पागलपन का दौरा पड़ने पर की गई थी। उनकी अन्‍य महत्त्वपूर्ण किताबें हैं - Reading Capital, 1965 और Essays in Self-criticism, 1974।

• थॉमस ग्रिफिथ वेनेराइट (1794-1847) ब्रिटिश पेंटर, लेखक और अपराधी रहे। 25 बरस की उम्र में साहित्यिक सफर शुरू किया। उनकी कुछ पेंटिंग्‍स रायल अकादमी में भी प्रदर्शित की गयी थीं और उन्‍होंने विलियम चैम्‍बरलेन की कविताओं का चित्रांकन भी किया। कहा जाता है कि उन्‍होंने अपने कई रिश्‍तेदारों को जहर देकर मार डाला। कहीं बीमे की रकम के चक्‍कर में तो जमीन जायदाद हथियाने के चक्‍कर में। यहाँ तक कि अपनी सास को भी नहीं बख्‍शा, जिसने अपनी वसीयत अपनी बेटी के नाम कर दी थी। उन्‍हें लंदन का ज़हरवाला कहा जाता है। 

• इसेई सागावा (1949-) जापानी लेखक हैं। उन पर हत्‍या और आदमखोर होने के आरोप हैं। जनाब तोक्‍यो में रहते हैं और अपने शहर में अच्‍छे खासे सेलेब्रिटी हैं। टीवी शो वगैरह पर बुलाए जाते हैं। विद्यार्थी रहते हुए जो हत्‍या की थी, उस पर तो किताब लिखी ही, 14 वर्षीय सीतो सकाकीबारा के बारे में भी किताब लिखी जिसने 14 बरस की उम्र में हत्‍या की थी। सागावा पेरिस में साहित्‍य के विद्यार्थी रहे। वहीं अपनी एक छात्रा को जर्मन कविता पर बात करने के लिए बुलाया, उसकी हत्‍या की, उसकी लाश के साथ सैक्‍स किया और उसे मारकर खा गए। जनाब को उसका माँस अच्‍छा लगा। जब पकड़े गए , तो  सब जुर्म कबूल कर लिये। इस अपराध के बाद सागावा को पागल करार दिया गया। कुछ दिन बाद गलती से सागावा को encephalitis का मरीज मान लिया गया और सोचा गया कि बस सागावा का अंत आया ही समझो। फ्रांस ने दोषमुक्‍त करके आज़ाद कर दिया। जापान पहुँचे। मानसिक रोगी की तरह अस्‍पताल में भर्ती किए गए। अस्‍पताल से छूटकर छुट्टे घूमते रहे। सागावा पर तीन फिल्‍में बन चुकी हैं। 

• मारिया कैरोलिना गील (1913–1996) चिली की लेखिका थी। उनका लेखक बहुत बोल्‍ड  माना जाता रहा है। उनकी पहली किताब El mundo dormido de Yenia 1946 में आयी। बाद में एक के बाद एक कई किताबें आईं। उन्‍होंने तब तक अविकसित साहित्‍यिक समीक्षा पर भी बेहतरीन किताब लिखी। 1956 में 46 बरस की उम्र में उन्‍होंने अपने 32 बरस के प्रेमी पर चार गोलियाँ चलाईं। बताया जाता है हत्‍या के बाद कैरोलिना ने अपने आपको मृतक पर गिरा लिया और उसे चूमते हुए बोली - मैं इसे बेहद प्यार करती थी। कैरोलिना को तीन बरस की सज़ा सुनाई ग।ई। जेल में रहते हुए कैरोलिना ने अपना बेहतरीन उपन्‍यास Cárcel de mujeres (Women’s Prison) लिखा। अपनी दोस्‍त और नोबेल पुरस्‍कार लेखिका गैब्रियल मिस्‍ट्राल की वजह से  कैरोलिना को माफी मिली।

• हैंस फालादा (1893 -1947) पिछली सदी के बेहतरीन जर्मन लेखक रहे। सामाजिक आलोचना पर एकाधिक उपन्‍यास लिखे। 1932 में लिखी किताब Little Man, What Now?, वे शिखर पर जा पहुँचे। 1937 में आये उपन्‍यास Wolf Among Wolves, से वे और प्रसिद्ध हुए। एक के बाद एक किताबें देते रहे। उनकी किताबों पर फिल्‍में भी बनीं। जब वे किशोर ही थे , तो  वे अपने संबंधों के चलते पागलखाने में भेजे गए थे। वहाँ अपने दोस्‍त हैन्‍स दित्रिच के साथ खेल खेल में दोहरी आत्‍महत्‍या का नाटक रचा। दोस्‍त का निशाना चूक गया और हैंस बच गए। फालादा ने हैन्‍स को मार डाला। खुद को भी मारने की कोशिश की: लेकिन बच गए। हत्‍या के इल्‍जाम में गिरफ्तार हुए, मानसिक रोगियों के अस्‍पताल में ले जाए गए और दोषमुक्‍त हो गए। लेकिन 1944  में वे फिर हिंसक हो उठे और अपनी पूर्व पत्‍नी की हत्‍या कर बैठे। वे मार्फीन के लती थे और मानसिक रोगी रहे।

आत्‍महत्‍या करने वाले लेखक

दुनिया भर में ऐसे लेखकों, कवियों, पत्रकारों और नाटककारों तथा अभिनेताओं की सूची बहुत लंबी है जिन्‍होंने अलग अलग कारणों और तरीकों से आत्महत्‍या की। आँकड़े बताते हैं कि ऐसे लेखक 150 से भी ज्‍यादा हैं। संयोग से भारत में आत्‍महत्‍या करने वाले लेखकों की संख्‍या नहीं के बराबर है। यहाँ सिर्फ छह लब्‍ध प्रतिष्‍ठ लेखकों के बारे में ही बताया जा रहा है।

 जॉन बेरीमैन

• 1961 में अर्नेस्‍ट हेमिंग्‍वे ने अपनी बारह बोर की बंदूक लोड की, अपने मुँह के सामने रखी और गोली दाग दी। उनके दिमाग के परखच्‍चे उड़ गए थे।

• वर्जीनिया वूल्‍फ ने 1941 में 59 बरस की उम्र में अपने घर के पास ही नदी में डूबकर आत्‍महत्‍या कर ली थी। उन्‍होंने अपने गले में भारी पत्‍थर बाँध लिये थे। वूल्‍फ का शव तीन सप्‍ताह बाद ही मिल पाया था।

• 1943 को स्‍टीफन ज्‍वाइग ने अपनी पत्‍नी के साथ नींद की ढेर सारी गोलियाँ खाकर एक दूसरे की बाहों में दम तोड़ दिया था। संयोग से उन्‍होंने एक दिन पहले ही अपनी आत्‍मकथा वर्ल्‍ड ऑफ यस्‍टरडे लिखकर पूरी की थी।

• जापानी लेखक, अभिनेता और नाटककार युकियो मिशिमा ने सेप्‍पुकु (अपना पेट चीरकर) के जरिये आत्‍महत्‍या की थी। वे एक वर्ष पहले से आत्‍महत्‍या करने की योजना बना रहे थे।

• अमेरिकी कवि जॉन बेरीमैन ने वाशिंगटन एवेन्‍यु ब्रिज से छलांग लगाकर आत्‍महत्‍या की थी। उनके पिता ने भी आत्‍महत्‍या की थी।

• प्रसिद्घ कहानीकार जैक लंडन की मृत्‍यु 40 बरस की उम्र में मॉरफीन की खुराक ज्‍यादा ले लेने के कारण हुई थी लेकिन डॉक्‍टर और विद्वान ये मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि ये आत्‍महत्‍या का मामला था। 

एक ही किताब से अमर हो जाने वाले लेखक

इतिहास बताता है कि ऐसे लेखकों की भी कमी नहीं रही जिन्‍होंने केवल एक ही किताब लिखकर साहित्‍य में अपनी खास जगह बनायी। ऐसे लेखक नोबेल पुरस्‍कार तक पाने वाले रहे। बेशक ऐसे रचनाकार छिटपुट लेखन करते रहे, कविताएँ लिखते रहे लेकिन साहित्‍य में उन्‍हें प्रसिद्घि अपनी इकलौती किताब के कारण ही मिली। विभिन्‍न समयों में और अलग अलग भाषाओं में केवल एक किताब के बल पर जगह बनाने वाले ऐसे लेखकों की संख्‍या सौ से ऊपर है। एक झलक 

• अरुंधति रॉय – गॉड ऑफ स्‍माल थिंग्‍स 

• एमिली ब्रॉंटे - वदरिंग हाइट्स

• ऑस्‍कर वाइल्‍ड – द पिक्‍चर ऑफ डोरियन ग्रे

• मारर्गेट मिशेल - गॉन विद द विंड

• वाई पीटर जॉन -डैड मीडियम 

• जे डी सैलिंगर - द कैचर इन द रे

• अन्‍ना सेवेल – ब्‍लैक ब्‍यूटी

• बोरिस पास्‍तरनाक – डॉक्‍टर जिवागो

• सदानंद धुमे – माय फ्रेंड द फैनेटिक 

• सुबंधु – सुबंधु्ज वासवदत्‍ता

• मीना लॉय-इन्‍सेल

• इशमाइल बीह – ए लॉंग वे गॉन- मेमोरीज ऑफ ए बॉय सोल्‍जर 

• द लॉंग वीकेंड - रॉस लेनन  (समाप्त)


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