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Oct 1, 2023

सेहतःआरोग्य की कुंजी है भरपूर हास्य

 


 'इंस्टिच्यूट फॉर दि स्टडी ऑफ ह्युमन नॉलेज' इस संस्थान के निष्णात डॉक्टरों ने आदमी के स्वास्थ्य का अनुसंधान किया है और इस अनुसंधान के निष्कर्ष प्रकाशित किए। इन निष्कर्षों को पढ़कर ऐसा लगेगा कि ओशो ही बोल रहे हैं, लेकिन उनका ओशो से कोई लेना-देना नहीं है, वे तो -अपने वैज्ञानिक प्रयोगों के आधार पर बोल रहे हैं। उनके निष्कर्ष यही दिखा रहे हैं, जो ओशो जिंदगी भर कहते रहे, जिसके प्रयोग वे करते रहे। वही इन चिकित्सकों का सार है। वैज्ञानिकों के अनुसंधान के निष्कर्ष देखिए-

खिलखिलाकर हँसना, ठहाके मारना, लोटपोट होना इत्यादि क्रियाएँ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायी हैं। आधुनिक विज्ञान यह भी कहता है कि अकारण हँस ना आरोग्य की कुंजी है।

अगर लोगों के बीच का फासला कम करना हो तो दिल खोलकर हँसिए । विक्टर बोर्ज नाम के हँसोड़ अभिनेता का सटीक कथन है-'हँसना दो लोगों के बीच का न्यूनतम अंतर है।' हास्य एक टॉनिक है, जो मुफ्त में शरीर और मन को स्वास्थ्यवर्धक करता है।

हँसना हमारे मनुष्य होने का सबूत है; क्योंकि अकेला मनुष्य ही ऐसा प्राणी है, जो हँस सकता है। जब भी संकट का समय होता है, तो सारे पशु दो ही बातें करते हैं, भागना या लड़ना; सिर्फ मनुष्य तीसरी बात कर सकता है; हँसना ।

इस अन्वेषण में यह पाया गया है कि हास्य एक आंतरिक जॉगिंग  है। दिलदार हँसी आपके चेहरे के स्नायुओं, श्वास के और पेट को बेहतरीन व्यायाम देती है। इससे दिल की धड़कन और रक्तचाप क्षणिक रूप से बढ़ते हैं , साँस तेज -गहरी होती है और आपके खून में प्राणवायु दौड़ने लगती है। एक भरपूर हँसी आपकी उतनी ही कैलरी जला सकती है, जितना कि तेज चलना । हँसी के दौरान आपका मस्तिष्क इतने हार्मोन्स छोड़ता है कि उससे आपकी सजगता शिखर पर आ जाती है। नार्मन कझिन्स को अपाहिज करने वाला जोड़ों का दर्द था । उसका दावा है कि उसने भरपेट हँसकर खुद को ठीक किया। उसका कहना है कि दस मिनट भरपूर हँसी उसके दर्द पर एनेस्थेसिआ का काम करती थी और वह दो घंटे तक गहरी नींद सो सकता था। एक  अनुसंधान के अनुसार , जो लोग बीस मिनट तक मजाक और  चुटकुलों से भरा भाषण सुनते हैं और जो शिक्षक का गंभीर भाषण सुनते हैं, उनमें से मजाक सुनने वाले लोगों को दर्द का अहसास नहीं होता। छात्रों को गणित के मुश्किल सवाल हल करने हों, तो अच्छा होगा कि उन्हें बीस मिनट तक चुटकुले सुनाए जाएँ और बाद में उनसे पढ़ाई करवाई जाए । वे अधिक सुगमता से पढ़  पाएँगे। अन्वेषकों को यह भी पता चला है कि हँसी-मजाक से सराबोर शो को देखने के बाद लार में एंटीबाडीज का स्तर बढ़ता है, जिससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। जो लोग हमेशा गंभीर होते हैं, उनमें इन एंटीबाडीज का स्तर बहुत कम होता है, जिससे कोई भी बीमारी उन्हें जल्दी पकड़ लेती है। इसका मतलब हुआ, जब ओशो कहते हैं कि गंभीरता रुग्णता है, तो उसके वैज्ञानिक आधार हैं। डॉक्टर यह भी कहते हैं कि आप सात दिन तक बिलकुल नहीं हँसे, तो कमजोर हो जाएँगे। समय आ गया है कि अब डॉक्टरों को दवाई के साथ यह भी लिखना पड़ेगा--'दस मिनट हँसना, दिन में पाँच बार ।' (ओशो टाइम्स से साभार)

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