शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते
– साबिर ज़फ़र
इस अंक में
अनकहीः देशभक्ति का सबूत? - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेखः भारतीय सेना के उच्च नैतिक मूल्य - शशि पाधा
शास्त्री जी की ईमानदारीः और वे नदी में कूद पड़े
गीतः हिंद के सिपाही सा - बृज राज किशोर ‘राहगीर’
पर्यावरणः कहाँ गुम हो गई हमारी शस्यश्यामला धरती - रविन्द्र गिन्नौरे
दोहे: 1. आजादी, 2, सत्ता - रमेश गौतम
आलेखः आज़ादी की जंग में यूँ कूदा पंजाब - रमेशराज
जीवन दर्शनः सेना का सम्मान - विजय जोशी
सॉनेटः श्रावण की शुष्कता - प्रो. विनीत मोहन औदिच्य
आलेखः साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय - प्रमोद भार्गव
स्वस्थ्यः मद्धिम संगीत से दर्द में राहत - स्रोत फीचर्स
कहानीः मेरी आत्मा मेरा शरीर - विजय कुमार तिवारी
लघुकथाः संकट और सम्पर्क - ओमा शर्मा
कविताएँः 1. ईश्वर की खोज, 2. ऐ मजबूत दिल... - डॉ. कुँवर दिनेश सिंह
व्यंग्यः घर में पनपता चूहावाद - अखतर अली
धरोहरः प्राचीनतम गुफा नाट्यशाला रामगढ़ - उदंती फीचर्स
प्रेरकः विनय और करुणा का पाठ - निशांत
लघुकथाः आखिरी रास्ता - अजय पालीवाल ‘नरेश’
लेखकों की अजब गज़ब दुनियाः एक से अधिक भाषा में रचनाएँ लिखने... - सूरज प्रकाश
कविताएँः 1. सूरज को देना साक्ष्य, 2. दु:ख को मुखाग्नि - सांत्वना श्रीकांत
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