- कृष्णा वर्मा
1.
छंदोबद्ध- सी
गंध उतर आई
शहनाई - सी
फागुन पुरवाई
पगलाई ख़ुदाई।
2.
छाई बहार
इंद्रधनुषी रंग
भीगा जो प्यार
बिम्बांकित हो गया
आंतरिक संसार।
3.
उमंग अंध
फागुनी हवाओं में
जादुई नशा
सठियाए वृक्षों को
बासंती भुजबंध।
4.आया वैशाख
अंतस तरुणा गया
राधा अधीर
कान्हा की बाँसुरी पे
उन्माद- सा छा गया।
5.
टूटा संयम
रचा उत्सव फाग
प्रीत है अंध
साँसों- बसी कस्तूरी
नाचे केसर- गंध।
6.
मौन अधर
आँखों-आँखों में बात
गुलमोहर
पलाश गुलाब के
हुए रक्तिम हाथ।
7.
उमंग काल
चढ़ा चटक रंग
फूलों के गाल
डाल गलबहियाँ
करें हवा से बात।
8.
उगे उल्लास
मन का ठूँठ हरा
ऋतु कृतार्थ
स्वप्नों को मिल गया
सुनहरा आकाश।
9.
जागे सपने
सुर भरे सुगन्ध
मौन मुखर
पढ़े मन कोकिल
मादक व्याकरण।
10.
कोरी हवाएँ
फूलों की सुगंध में
सालू रँगाएँ
आगमन ऋतु का
घर-घर बताएँ।
3 comments:
वाह,फागुनी हवाओं के जादुई रंगों से सराबोर सुंदर ताँका।बधाई कृष्णा वर्मा जी।
आहा!! अति सुंदर..मनमुग्ध करती रचनाएँ 🌹🙏
अति उत्तम सृजन 💐💐💐
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