-डॉ.
सुधा गुप्ता
1
चाँदनी -स्नात
शरद-पूनो रात
भोर के धोखे
पंछी चहचहाते
जाग पड़ता वन।
2
बड़ी सुबह
सूरज मास्टर दा’
किरण-छड़ी
ले, आते धमकाते
पंछी पाठ सुनाते ।
3
पाँत में खड़े
गुलमोहर सजे
हरी पोशाक
चोटी में गूँथे फूल
छात्राएँ चलीं
स्कूल ।
4
सुन रे बच्चे
सपने तेरे बड़े
नयन छोटे
आकाश तेरा घर
ले उड़ान जीभर ।
5
बिना पंख के
उड़ती है लड़की
खुले आकाश
बरज रही दुनिया
माने न कोई बाधा।
6
सुख का साथी
ये घर-परिवार
दु:ख का साथी
सिर्फ़ अकेलापन
किसे खोजे पागल ।
2 comments:
वाह,अभिनव बिम्बो से सजे,एक से बढ़कर एक ताँका।सुधा गुप्ता जी की लेखनी को नमन।
सुंदर बिम्ब, प्रकृति का मनोहारी वर्णन, जीवन के सत्य को दर्शाते एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट ताँका। अद्भुत लेखन।
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