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Oct 6, 2020

व्यंग्यः चरण स्पर्श

- हरीश नवल
सदियों पहले जाने किसने आदर दिखाने के लिए पैर छूने का रिवाज़ बनाया, जिसे सांस्कृतिक शब्दों में चरण-स्पर्श कहते हैं। यह मानव के आचरण का द्योतक है। इसमें एक योग जैसी क्रिया होती है, जिसके अनुसार जो व्यक्ति जिसको आदर देना चाहता है, उसके पैरों को झुककर छूता है। आजकल पैर तो कम, जूते चप्पल अधिक देखे जाते हैं। अत: चरण स्पर्श के स्थान पर जूते या चप्पलों का स्पर्श अधिक होता है, जिसे सांस्कृतिक शब्दों में  पदत्राण-स्पर्श कहा जा सकता है लेकिन सवाल यह उठता है कि आजकल पदत्राण भी कहाँ हो पाता है, आदर देने वाला आदर लेने वाले के घुटनों से नीचे नहीं पहुँचता। इस क्रिया को सांस्कृतिक शब्दों में  घुटना-स्पर्शकहा जा सकता है। बहुधा नौजवान घुटने तक भी अपने कर-कमल को नहीं पहुँचाते, वे नाम मात्र झुककर अपनी बाहें सीधा करके आदर देने की रस्म पूरी करते हैं। इस क्रिया में उनका हाथ आदरेय की कमर के समानांतर लगभग एक फुट की दूरी पर रहता है। इसे सांस्कृतिक शब्दों में वरण स्पर्शाभिनयका नाम दिया जा सकता है।

इस चराचर जगत में ऐसे दुर्लभ प्राणी आज भी दृष्टिगोचर हो सकते हैं, जो सचमुच चरण या पदत्राण स्पर्श करते हैं, जिनमें एक कोटि ऐसी भी होती है, जो झुक-झुककर पाँव छूते हैं और धीरे-धीरे पाँव काटते रहते हैं और एक दिन आदरेय प्राणी जो गुरु, पिता, भाई या अन्य इसी प्रकार के जीव होते हैं, उनके पूरे पाँव काटकर ले जाते हैं! ऐसे उत्तम पुरुष कालांतर में पार्षद, विधायक, सांसद आदि बनने की प्रतिभा रखते हैं।

घोर पाँव छूने वाले भद्रजन ऐसे भी होते हैं, जो आदरणीयों के पाँव काटते नहीं, उन्हें सच में स्पर्श करके उँगलियाँ अपने मस्तक पर भी लगाते हैं। ये पाँव को आहत नहीं करते; अपितु पाँव के नीचे की ज़मीन खिसका देते हैं। जिनके पाँव के नीचे की ज़मीन खिसकती है, उन्हें इसका भान तब होता है, जब वे पाँव टिका नहीं पाते और गिर जाते हैं। ज़मीन खिसकाने वाले विशेषज्ञ प्रायः आदरणीय के निकट सम्बन्धी- छंबंधी जैसे पुत्र, बहू, दामाद आदि होते हैं।

वो ज़माने गए जब चरणस्पर्शी आदरणीयों के पाँव ज़मीन पर नहीं रखने देते थे, उनके पैरों तले वे उनका स्वर्ग मानते थे। अब तो वे उन्हें पैरों की जूतीभीनहीं मानते। सात्विक शुद्ध चरण स्पर्श करने वाले और करवाने वालें क्रमशः लुप्त होते जा रहे हैं।
एक पहलू और भी है, जो आज के चरण-स्पर्श कर्ता बताते हैं कि वास्तव में चरण उनके छूने चाहिए, जिनका आचरण अच्छा हो, किन्तु दोस्तो,  क्या ऐसे मानव आसानी से मिल पाते हैं? सोचिए!

सम्पर्कः  65 साक्षरा अपार्टमेंट्स, ए-3 पश्चिम विहार, नई दिल्‍ली-110063
मोबा- 9818999225, E-mail: harishnaval@gmail.com

3 comments:

प्रीति अग्रवाल said...

बहुत बढ़िया!सच कहते हैं आप आदरणीय...अंग्रेज़ी में भी कहते हैं, beware of those who fall at your feet, they may be reaching for the corner of the rug!!...पाँव छूने का तो बहाना है, दरअसल नीचे की ज़मीन ही खिसकाने का उद्देश्य होता है.…:)

साधना मदान said...

अब जब भी कोई चरण स्पर्श करेगा तो दुआ के साथ ज़मीन खिसकने का सच भी याद रहेगा।

डॉ. पूर्वा शर्मा said...

चरण स्पर्श के अलग अलग प्रकार -पदत्राण स्पर्श, घुटना स्पर्श आदि का नामकरण बहुत आकर्षक एवं सटीक लगा |
हरीश जी इस सुंदर व्यंग्य के लिए बधाई स्वीकार करें |