उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Jul 12, 2018

घिर आए बादल

घिर आए बादल
 डॉ. पूर्णिमा राय
1
हम तेरे कायल हैं
साजन जाना
घिर आये बादल हैं
2
बादल घिर आए हैं
यादों की गठरी
भर-भर कर लाए हैं
3
यह दिल है दीवाना
राह तकेे नैना
मौसम भी मस्ताना
4
तुम दूर करो गम को
हँसना जीवन है
खत लिख देना हमको
 5
 खिड़की से झाँक रहा
 निर्मोही चंदा
 बरबस ही ताक रहा।।
 6
 बूँदें बन बारिश की
 रोता है अम्बर
 बू आए साजिश की।।
 7
 तुम बिन सावन बीते
 आना बारिश बन
 हम हारे ,तुम जीते!!
8
 गुलशन में फूल खिले
 सुरभित मन्द हवा
 चाहत में हृदय मिले!!

सम्पर्क: ग्रीन एवनियू, घुमान रोड, तहसील बाबा बकाला, मेहता चौंक 143114, अमृतसर (पंजाब),  E-mail- drpurnima01.dpr@gmail.com

1 comment:

Unknown said...

बहुत खूब दी