पारसी क्यों हैं ‘पारस’ से
- विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)
किसी भी कौम की पहचान उसके द्वारा जनहित में किए गए कार्यों से होती है। कौम के यही कर्म उसे सर्वमान्य बनाते हैं और समय की शिला पर स्थायी पदचिन्ह छोड़ते हैं। पारसी इस मायने में सर्वश्रेष्ठ हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा ईरान में सब कुछ गँवाने के बाद भी वे इस सर- जमीं पर अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर न केवल फिर से समृद्ध रूप से खड़े हो गए बल्कि अपनी कमाई संगृहित न करते हुए समाज को सपर्पित कर दी।
टाटा परिवार का एक दुर्लभ चित्र |
सबसे बड़ी बात तो यह है कि सुप्रसिद्ध टाटा संस कंपनी
एक चेरिटेबल संस्था है जिसमें रतन टाटा की भागीदारी है मात्र 1 प्रतिशत तथा साइरस मिस्त्री
की उससे भी कम। इस कंपनी के दो तिहाई शेयर का मालिक है रोशनजी टाटा ट्रस्ट जिसकी सारी
कमाई चेरिटी को समर्पित है।
विशेष बात तो यह है कि इस कंपनी की वार्षिक बिक्री
है 100 बिलियन डालर जो पाकिस्तान के
सकल घरेलू उत्पादन (जी.डी.पी.) के लगभग 50 प्रतिशत के समतुल्य है। आश्चर्य की बात तो यह भी
है कि यह संसार की एकमात्र चेरिटी स्वामित्व वाली कंपनी है।
राक फेलर, बफेट या बिल गेट्स के समान ही टाटा इस तथ्य से अवगत
हैं कि इस पैसे पर पहला अधिकार समाज का है और वे उसी के सुधार हेतु कमा रहे हैं। यह
मौकापरस्ती से ग्रस्त हमारे देश में लगभग विचित्र किंतु सत्य तथ्य है। हमारा धनाढ्य
वर्ग जनहित से सर्वथा दूर है। बिड़ला मंदिर बनाते हैं तो अंबानी मानव इतिहास का अब
तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत निवास। यदि आय और व्यय का भी ध्येय होना चाहिए तो एँड्र्यू कारनेगी के शब्दों में भारतीयों ने
इसे अभी तक सीखा ही नहीं है।
यह पारसी समुदाय ही है जिसने हमें यह संदेश दिया
है कि संपदा समाज के आगे बढऩे का पवित्र साधन और साध्य दोनों है। यही कारण है कि वे
संस्कृति,
स्वास्थ्य एवं शिक्षा के संस्थानों का निर्माण करते हैं। और तो और संगीत के क्षेत्र
से भी उनका लगाव अद्भुत है। सिंफनी आर्केस्ट्रा में 90 प्रतिशत दर्शक पारसी रहते हैं।
इसमें अन्य भारतीयों की भले ही वे हिन्दू हों या मुसलमान कोई रुचि नहीं।
जहाँ तक उदार दृष्टिकोण की बात है आज टाटा की लगभग
सभी कंपनियों में चाहे वह टाटा स्टील हो, टाटा मोटर्स हो या फिर होटल ताज अथवा टी.सी.एस. उन
सभी में प्रबंधन स्तर पर बैठे हैं भारतीय हिन्दू
मुस्लिम मेनेजर्स ही।
यही वे विशेषताएँ हैं जो इस समुदाय को सर्वश्रेष्ठ
बनाती है। भारत का भविष्य ऐसी ही कौमों के हाथों सुरक्षित है। आइए हम उनसे कुछ सीखें।
सम्पर्कः 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास) भोपाल- 462023, मो. 09826042641,
E-mail- v.joshi415@gmail.com
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