चर्चा डिज़िटल इंडिया की...
- डॉ. रत्ना वर्मा
आज जिधर देखो उधर डिज़िटल इंडिया की
चर्चा हो रही है। बहुत अच्छा लगता है सुनकर कि हमारे देश का हर नागरिक इस नई तकनीक
से जुड़ कर तरक्की के रास्ते पर चलेगा। अब क्या गाँव और क्या शहर। जब कहीं कोई अंतर नहीं रहेगा तो कोई भी सरकारी
कर्मचारी गाँव जाने से कतराएगा नहीं। चाहे डॉक्टर हो चाहे शिक्षक या अफसर कोई भी
यह नहीं कह पाएगा कि भला भारत के पिछड़े हुए गाँवों में कोई कैसे रह सकता है, जहाँ न तो इंटरनेट की
सुविधा है, न वाईफाई है
न हॉटस्पॉट।
शांत हो जाइए... शांत हो जाइए.... अब
आप यह सब भूल जाएँगे जब पूरा देश डिज़िटल होगा, तब भला कोई गाँव पिछड़ा हुआ कैसे कहलाएगा। समझ लीजिए गाँव
और शहर का अंतर यूँ चुटकियों में मिटने वाला है। इधर देश डिज़िटल हुआ और उधर
ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, गाँव-शहर जैसी खाई मिट ही
गई ....
आप ही सोचिए, जब आप सब सीध-सीधे इंटरनेट और मोबाइल एप से पैसे पेमेंट करके सामान ले रहे
हैं तो बन गए ना आप डिज़िटल इंडिया के नागरिक। न छुट्टे की समस्या न जेब में पैसे
रखने की समस्या। बस एक मोबाइल आपके जेब में होना चाहिए। ये बात भले ही अलग है कि
आज भी मोबाइल में बात करते- करते आवाज नहीं आ रही है कहना पड़ता है (भले ही वह बात
न करने का बहाना ही क्यों न हो....) या
बात करने के लिए कभी सड़क पर तो कभी छत पर जाना पड़ता है। यही नहीं मोबाइल न हुआ
मुआ रोज पहनने वाला कपड़ा हो गया। इतनी जल्दी जल्दी नए मॉडल बाजार में उतारे जा
रहे हैं कि नए की अभी आदत अभी बन ही नहीं
पाई थी कि वह आउटडेटेड हो जाता है। मजबूरन उसे बदलना पड़ता है, आखिर नए जमाने के साथ जो
चलना है।
हाँ तो बात हो रही थी कि पूरा देश एक
नेटवर्क से जुड़ेगा और हम घर बैठे ही अपने कम्प्यूटर से सारे काम कर सकेंगे।
ऑनलाइन खरीददारी तो आसान हो ही गई है, घर से ही बैंक का काम,
बिजली बिल का भुगतान, रेल और हवाई
टिकट भी बहुत आसानी से बुक होने लगे हैं और अब तो विदेशों की तर्ज पर घर में ही
रहकर ऑनलाइन ऑफिस का काम भी शुरू हो चुका है। हो गई न बल्ले बल्ले... यूँ भी आजकल
गडिय़ों से होने वाले प्रदूषण से सब परेशान है, कितना अच्छा होगा कि सब घर में बैठ कर काम करेंगे। आड-इवन
गाडियाँ चलाने से तो छुट्टी मिलेगी ही। पेट्रोल के पैसे भी बचेंगे। बीबियाँ भी खुश
कि पति घर पर है घर के कामों में सहायता ही करेंगे। अब शाम तक उनके इंतजार में बैठे भी नहीं रहना
पड़ेगा। जरूरत हुई तो बच्चों को स्कूल छोड़ देंगे और ले आएँगे। सब्जी -भाजी भी ला के देंगे। कभी पिक्चर या मार्केटिंग का मन हुआ तो भी चले जाएँगे।
काम का क्या है, होता रहेगा।
घर में ही ओवरटाइम कर लेंगे। ... हुई न फायदे वाली बात।
आज नहीं तो कल जैसा कि भारत सरकार ने
कहा है कि संभवत: सन् 2020 तक (बहुत
ज्यादा दूर नहीं हैं हम इससे) भारत पूर्णरूप से डिजीटल इंडिया बन जाएगा। हजारों
करोड़ इस पर खर्च होने वाले हैं। मुझे याद है जब पेजर जैसी तकनीक ने भारत में कदम
रखा था तब हम मजाक ही मजाक में कहा करते थे कि आने वाले समय में घर में काम करने
वाली बाई, रिक्शे वाले, सब्जी वाले, दूध वाले, सबके पास पेजर होगा और तब
सबकुछ कितना आसान होगा। एक फोन करो बाई, दूध वाला सब्जी वाला सब हाजिर.... लेकिन हमारी कल्पना और
सपनों से बहुत परे आज देखिए क्या बाई और क्या दूध वाला हर हाथ में मोबाइल है। अब
बात मज़ाक की नहीं रह गई है हम सचमुच में तरक्की कर रहे हैं, कहना चाहिए थोड़ी तरक्की
तो कर ही चुके हैं। हाँ लेकिन इस बार हमने अपने सपने भी थोड़े बड़े देखने की आदत
बना ली है। चूँकि अब होम असिस्टेंट तो आ ही चुका है जो आपके आदेश का पालन करता है, तो जाहिर है जल्दी ही एक
ऐसा रोबोट भी आ जाएगा जो आपके एक आदेश पर वह सारा काम कर देगा जिसे आप दिन भर में
करते हैं। जैसे ऑफिस के काम,
घर के काम जिसके लिए आपको बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। साफ-सफाई से लेकर बर्तन
धोने, खाना पकाने
तक वह सब कुछ जिसे करने के लिए आपको दूसरों की सहायता लेनी पड़ती है। यदि यह सब एक रोबोट कर दे तो फिर कल्पना कीजिए
कैसी हो जाएगी आपकी यह डिज़िटल दुनिया।
डिज़िटल इंडिया में ई-शासन के चलते
सरकारी काम-काज भी बहुत आसान होने वाला है। वह दिन भी आने में देरी नहीं लगेगी जब
हमें सरकार के दरवाजे तक जाने की जरुरत ही नहीं होगी। कल्पना कीजिए ई- शासन में
हमें कितनी सारी सुविधाएँ मिल जाएँगी। आज सरकारी कामकाज इसलिए बदनाम है कि छोटा से
छोटा काम करवाने जाओ, तो चपरासी से लेकर बाबू
और बड़े बाबू तक सबकी जेबें गरम करनी पड़ती है। बिना अंडर टेबल कोई काम ही नहीं
होता, परंतु सबकुछ
आधार से जोडऩे के बाद तो उम्मीद है यह उपरी लेनदेन बंद हो जाएगा। .... अब ई-शासन
में अंडर टेबल की जगह ई- टेबल जैसा कोई नया तरीकाइज़ादहो जाएगा तो
फिर ई- घूसखोरी, ई- भ्रष्टाचार जैसी मुसीबतों से जूझने के लिए कौन सी तकनीक
इस्तेमाल होगी यह अभी नहीं मालूम।
कहा तो यही जा रहा है कि डिज़िटल
इंडिया में भ्रष्टाचार की संभावनाएँ भी खत्म हो गईं हैं, अब कोई घोटाला नहीं कर सकेगा।
जब सब कुछ ऑनलाइन होगा, आधार का लिंक
बैंकों से जुड़ा रहेगा तो जाहिर है सब निगरानी में रहेंगे। अब बताओ भला कैसे
भष्टाचार करोगे? इसलिए कुछ
लोग जिनको डर लग रहा है कहने लगे हैं कि डिज़िटल इंडिया बनने के पहले जितनी जेबें
भरना है भर लो, अपनी अगली
पीढ़ी का इंतजाम कर लो, फिर न कहना
हमें मौका ही नहीं मिला।
रही बात आपस में भेद-भाव मिट जाने की
तो कहा तो यही जा रहा है कि सारी दूरियाँ मिट जाएगी। भले ही आज शिक्षा का स्तर
वैसा नहीं है जैसा हम चाहते हैं पर सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों का अंतर यह डिजिटल
इंडिया मिटा देगा। जब सभी स्कूल और कॉलेज में इंटरनेट की सुविधा हो जाएगी, जब गाँव- गाँव ब्राडबैंड
से जुड़ जाएगा, आम आदमी के
पास वाईफाई और हॉटस्पॉट होगा तो फिर तो यह अंतर तो मिटना ही है। आप देख तो रहे ही
हैं मोबाइल के आने से परिवार और पड़ोसियों से दूरी भले ही बढ़ गई हो पर सोशल
मीडिया में उनकी उपस्थिति इतनी अधिक रहती है कि बिना किसी के घर जाए वे दिन- रात
आपस में जुड़े रहते हैं। अब जब उनका मोबाइल वाईफाई और हॉटस्पॉट से जुड़ जाएगा उसके
बाद का नज़ाराकैसे होगा कल्पना करना मुश्किल हो रहा है। आप कोई कल्पना कर
पा रहे हों तो जरूर बताएँ....
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