1. मेरा नगर
हरी भरी वादियों का
सुंदर शहर
इन दिनों
नेताओं की मेहरबानी से
कचराघर हो गया है।
रातों रात
यूँ हुई पट्टों की बरसात
कि हरी भरी पहाडिय़ाँ
अव्यवस्था के जंगल में
बदल गर्इं
और मेरे शहर की किस्मत
उजड़ गई
अब तो सारा मंजर बदल गया है
मेरा शहर.....
चंपा चमेली मोगरे की सुगँध
बीते दिनों की बात रह गई
उनकी जगह
धुँआ, धूल, डीजली हवा आबाद हो गई
सड़कों का यूँ हाल है
उन पर चलना मुहाल है
अकेले में सोचता हूँ
क्या चाहा था क्या हो गया है
मेरा शहर......
बँट चुके चौराहों पर
दिवंगतों के बुत
साल में एक दिन
खूब सजते सँवरते हैं
बाकि दिनों उन पर
कौवे विचरते हैं
पूरा का पूरा नगर
अब पीकदान हो गया है
मेरा शहर......
---
2. मेरा देश बचाना बाबा
अब के बारिश नहीं हुई है
फसलें सारी सूखीं बाबा।
बहते हैं आँसू हरिया के
उसे दिलासा देना बाबा।
सावन भी सूना बीता है
कैसे झूला झूलें बाबा।
बच्चे भूख से बिलख रहे हैं
लोरी इन्हें सुनाना बाबा।
गोरी भूल गई है गाना
उसका साज सजाना बाबा।
बहना गुमसुम सी बैठी है
उसको जरा हँसाना बाबा।
गुंडे बैठे चौपालों पर
उनको सीख सिखाना बाबा।
गाँव में नेता घुस आया है
इससे जरा बचाना बाबा।
रस्तों पर फिर दंगे भड़के
प्यार का रस बरसाना बाबा।
गली गली में आग लगी है
तुम ही उसे बुझाना बाबा।
देश का यौवन बिखर रहा है
फिर से आस जगाना बाबा।
मैं खुद में भटक गया हूँ
मुझको ठौर दिलाना बाबा।

No comments:
Post a Comment