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कचरा हटाओ
- विजय जोशी
जीवन में दैनिक कार्य उसे गतिवान रखने के
साथ ही साथ ज़िन्दा (( Survival) रहने के लिए आवश्यक हैं। ये कार्य आदत का अभिन्न अंग हो जाते हैं। इनके सम्पादन से न केवल
आपके अंदर ऊर्जा बनी रहती है, अपितु उद्देश्य के प्रति ललक भी अन्तस् में कायम रहती है। लेकिन एक बात जो इससे अधिक संतोष व स्फूर्ति में
अभिवृद्धि कर सकती है वह है, कुछ ऐसा
मूल्य वृद्धि (Value Addition) वाला कार्य जिसमें बहुत अधिक संसाधन, सुविधा की आवश्यकता भी न हो और जो आपको गहन संतोष के भाव से अभिभूत कर सके।
पिछले दिनों अपने गोवा प्रवास के दौरान मुझे यह अनुभव प्राप्त हुआ।
गोवावासी बेहद शांतिप्रिय एवं कर्मठ कौम हैं, देश के अन्यान्य प्रदेशों में फैले दुर्गुणों से कोसों दूर, पर्यावरण के प्रति पूरी तरह समर्पित।
अपवाद हर जगह संभव हैं। यह मूलत: इंसानी फितरत है। सो कुछ लोग पर्यावरण
प्रदूषण में भी सहभागी हैं। सौ नौजवानों के एक छोटे से समूह ने पर्यावरण संरक्षण
के प्रति सजग करने के लिए एक अभिनव प्रयास के रूप में ‘‘सीटी बजाओ कचरा हटाओं ‘‘ समूह का गठन किया है। ये लोग संध्या समय समुद्र तट पर स्थित होटलों, खोमचाधारी स्टालों के पास ‘‘कचरा हटाओ ‘‘ लिखे प्ले कार्ड के साथ पहुँचकर पूरे क्षेत्र में फैल जाते हैं। समूह
के हर सदस्य के पास एक सीटी होती है।
आगे का योगदान बहुत अभिनव है। वे सब ओर निगाह रखते हैं और जैसे ही किसी ने
खाने के पश्चात अपनी जूठी प्लेट जमीन पर फेंकी, वालंटियर सीटी बजाते हुए तुरंत उसके पास पहुँच जाता है। सीटी सुनते ही शेष
सब नौजवान भी उन सज्जन के पास इकट्ठे हो जाते हैं और समवेत स्वर में सीटी बजाने
लगते हैं। और वह तब तक जब तक कि वह व्यक्ति शर्मिंदा होकर अपनी जूठी प्लेट खुद
उठाकर निर्धारित जगह पर न रख दे। इससे होटल व खोमचेवालों को भी सबक मिल जाता है।
अब तो इस समूह से अनेक बच्चे, छात्राएँ, वरिष्ठ एवं
जागरूक नागरिक भी जुड़ चुके हैं, जो शाम को इस तरह अपने अतिरिक्त समय का सार्थक उपयोग कर पा रहे हैं। एक दिन
तो समुद्र तट पर घूमने आई छात्राओं का समूह स्वप्रेरित होकर खुद ब खुद इस अभियान
से जुड़ गया।
मुख्य बात यह है कि अब इस अभियान से नगर निगम प्रशासक एस. रोड्रिक्स एवं
पेट्रिशिया पिंटो न केवल प्रभावित हुए, बल्कि समूह के साथ सम्मिलित हो गए।
सारांश में यह कि यदि आपके आस पास घटित हो रही किसी अवांछित गतिविधि देखकर
आपके मन में यदि कोई बात उभरे, तो तुरंत उसके निदान हेतु जुट जाएँ । काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि करने
वाला उसे महान बनाता है। महात्मा गाँधी ने नमक कानून तोडऩे जैसे छोटे से मिशन में
मात्र 79 साथियों
सहित दांडी मार्च आरंभ किया था, जिसमें अंतत: लाखों लोग जुड़ गए। यही है सत्कार्य की महिमा।
मैं अकेला ही चला था, जानिबे- मंजि़ल मगर
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास) भोपाल-
462023, मो.
09826042641,
Email- v.joshi415@gmail.com
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