
अन्धा
ऑफिस पहुँचने की जल्दी में वह तेज-तेज कदमों से फुटपाथ पर चला जा रहा था कि, अचानक एक व्यक्ति से टकरा गया। अपनी गलती उस पर थोपने की गरज से उसने उलटे उसे ही फटकारना शुरू कर दिया- 'अंधे हो क्या? देखकर नहीं चल सकते।'माफ कीजियेगा भाई साहब मेरा ध्यान कहीं और था...पर साहब मैं अंधा नहीं हूँ...उस व्यक्ति ने कांपते हाथों से अपनी लाठी और काला चश्मा टटोलते हुए कहा।
पीड़ान्तर
प्रसव के लिये 
'कल ऊंगली जलने पर हुए दर्द के लिये तो मैं मानसिक रुप से तैयार नहीं थी, जबकि आज व आगे जो दर्द होना है, उसके लिये मैं तो छुटपन से ही मानसिक रुप से तैयार हो गयी थी। दोनों पीड़ाओं में अन्तर है। जहाँ एक में दु:ख की अनुभ्ूाति होती है, तो वहीं दूसरे में सुख की...आप मेरी जरा भी चिन्ता न करें।' उसकी पत्नी ने जवाब दिया।
मूल्यांकन

'अच्छा! अपनी इन कथित कलाओं से वह कितना कमा लेता है?' लड़की के पिता ने प्रश्न किया।
'जी उसने कला को कला ही रहने दिया है, पेशे के तौर पर नहीं अपनाया हैं। चूँकि ये सब उसके शौक मात्र है, इसलिये वह अपनी इन कलाओं से कुछ भी नहीं कमाता है।' मध्यस्थ ने जवाब दिया।
'तो काहे का कलाकार है? ऐसी कलाओं को पालने का क्या मतलब है, जिसमें कोई कमाई न हो ? ...मेरा तो यह मानना है कि, धन कमाना ही वास्तव में कला है, बाकी सब बेकार की बातें हैं।'मैं अपनी लड़की की शादी ऐसी जगह नहीं कर सकता। लड़की के पिता ने सपाट सा उत्तर दिया ।
बेकार

'अच्छा उसकी उम्र लगभग कितनी होगी ?' स्थापित मित्र ने प्रश्न किया।
'लगभग तीस- इकतीस वर्ष का तो हो ही चुका होगा वह।' उसने उत्तर दिया।
'जो व्यक्ति तीस-इकतीस वर्ष का हो चुका हो, और अब तक बेरोजगार हो वह क्या खाक प्रतिभाशाली है ? और यदि वह कभी प्रतिभाशाली रहा भी होगा, तो भी अब तक तो उसकी प्रतिभा में जंग लग चुका होगा । ऐसे में मैं उसकी कोई मदद नहीं कर सकता।' स्थापित मित्र ने सपाट सा उत्तर दिया।
सम्पर्क- एलआईजी-832, सेक्टर-5, हाउसिंग बोर्ड कालोनी,
सड्डू, रायपुर 492007, मो. 09827406575
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