हॉस्टल से निकलते हुए आज फिर उसकी अमर उम्मीद उसके साथ थी कि इस बार तो जरूर फ़ेलोशिप आ गई होगी। पिछले तीन महीने से उसका अकाउंट लगभग खाली पड़ा था, जबकि अखबार में समाचार था कि एक महीने पहले यूजीसी ने फ़ेलोशिप सम्बन्धित विश्वविद्यालयों को भेज दी हैं। प्रयोगशाला जाने की बजाय वह पहले सीधे बड़े बाबू के ऑफिस पहुँची- प्रणाम बड़े बाबू, इस बार तो पैसा आ गया होगा ना?दिल्ली से तो कब का रिलीज हो चुका है। -अरे कहाँ आया मैडम जी, आया होता तो हम अकाउंट में पहुँचा न देते। अब आपको काहे जल्दी पड़ी है, अच्छे खासे घर से हैं आपको काहे की कमी। - पर मुझे बहुत लोगों का बकाया लौटाना हैं। आप यूजीसी के ऑफिस फोन करके पता क्यों नहीं करते कि इतनी देर क्यों लग रही है?उसने हताश होते हुए सवाल किया - करते तो हैं; लेकिन कहाँ कोई फोन उठाता है जी, परसों हम खुद ही जा रहे हैं दिल्ली, आप वहाँ के बाबू लोगों की मिठाई का कुछ प्रबन्ध कर दें तो काम थोड़ा जल्दी हो जाएगा और क्या है। आपके पापा तो पीडब्ल्यूडी में बड़े साहब हैं। सब समझती ही होंगी। बड़े बाबू ने बत्तीसी दिखाकर अपनी राय देते हुए कह। लड़की अपना आप खो बैठी- बड़े बाबू ये फ़ेलोशिप हमारी योग्यता की कमाई है, और हाँ मेरे पापा पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर जरूर हैं; लेकिन उन्होंने अपने मुँह कभी मिठाई का खून नहीं लगने दिया, वरना हम अब तक किराए के घर मे ना रह रहे होते। अब आप काम कराते हैं या मैं वी.सी. सर से मिलूँ? बड़े बाबू कालरात्रि के दर्शन कर चुपचाप यूजीसी का नंबर लगाने में लग गए।
- आज खा ले मेरे राजा बेटा कल तेरे मन का बना दूँगी, अभी रात बहुत हो गई ना। आजा तुझे अपने हाथ से छोटे-छोटे कौर करके खिलाती हूँ।
- नहीं नहीं नहीं, मुझे अभी चाहिए, आलू के पराठे और बैंगन का भर्ता कहकर उसने छन्न से तश्तरी, सब्जी भरी कटोरी और पानी के गिलास को स्टूल से नीचे फेंक दिया।
- अरे मुन्ना फेंक तो मत, जरा रुक जा अभी बनाए देती हूँ कहकर माँ आँख में आँसू लिये फैली हुई सब्जी और रोटी समेटने लगी अभी माँ गई भी न थी कि उसे एक तेज दहाड़ सुनाई दी।
- बाबू ये क्या तरीका है?नहीं खाना तो ढंग से कहते नहीं बनता?
- अब खुद समेटिएगा इसे सवेरे?बुढ़ापे में भी हर दिन पकवान चाहिए इनकी चटोरी जीभ को।
डाँट सुनकर मुन्ना हड़बड़ाकर कोहनियों के सहारे बिस्तर पर अधलेटा सा बैठ गया। फटी-फटी आँखों से बेटे और बहू को देखे जा रहा था, झपकी टूट चुकी थी।
सम्पर्क: श्री राम बिहारी चौरसिया
मालवीय नगर, बज़रिया, कोंच; जिला-जालौन उ.प्र.285205, मो.0033753742132, Email- mashal.com@gmail.com
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