रणथम्भोर में प्रकृति का चमत्कार
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बाघ अकेले जीवन यापन करने वाला प्राणी है। सिर्फ प्रजनन के लिए नर और मादा एक दो दिन के लिए साथ रहते हैं। अन्यथा दोनों अपने- अपने क्षेत्र में स्वतंत्र जीवन व्यतीत करते हैं और अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए मरने- मारने को तैयार रहते हैं। मादा अपने बच्चों को अकेले ही 2 वर्ष तक पालती है। बच्चों वाली बाघिन बाघ को भी पास नहीं फटकने नहीं देती क्योंकि बाघ बच्चों को भी मार डालते हैं।
परंतु रणथम्भोर में इन दिनों एक बाघ प्रकृति विरुद्ध आचरण कर रहा है। हुआ यह है कि फरवरी 2011 में 2-4 महीनों की बच्चों की मां बाघिन पूंछ के पास के घांव में जहरबाद हो जाने के कारण मर गई और दोनों बच्चे अनाथ हो गए। अभयारण के कर्मचारियों को भी इन अनाथ बच्चों के बचने की कोई उम्मीद नहीं रही। बाघिन की मृत्यु के बाद दोनों बच्चे कुछ समय के लिए अदृश्य भी हो गए थे। अचानक एक दिन कर्मचारियों ने देखा कि दोनों बाघ शावक एक नर बाघ के साथ हैं और स्वच्थ हैं। अब दोनों शावक सवा साल के हो गए हैं। बाघों की जानी- पहचानी जीवन प्रणाली के अनुसार शावकों का भक्षक बाघ उनका रक्षक बना हुआ है। यथार्थ तो यह है कि जगत जननी प्रकृति की लीला अपरंपार है।
बुलेट से खेती और प्रेशर कुकर से कॉफी
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इसी प्रकार बिहार के पूर्वी चम्पारण के मोहम्मद रोजादीन अपने प्रेशर कुकर को स्टोव पर गर्म करते हैं और उसकी सीटी से जुड़ी हुई नली से निकलने वाले तेज भाप को जग में प्रवाहित कर झाग वाली कॉफी तैयार करते हैं। हैं तो दोनो अजब पर काम के हैं।
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