मासिक पत्रिका वर्ष2, अंक 9, मई 2012
मीठा सबसे बोलिए ,
फैले सुख चहुँ ओर ।
वशीकरण है मन्त्र यह ,
वशीकरण है मन्त्र यह ,
तज से वचन कठोर ॥
-रहीम
अनकही: नन्हें कन्धों पर भारी बस्ता - डॉ. रत्ना वर्मा
प्रेस स्वतंत्रता दिवस
क्यों जन-विरोधी है ... - जस्टिस मार्कंडेय काटजू
हर हाल में हम सच का ... - गिरीश पंकज
आज की पत्रकारिता में ... - रमेश शर्मा
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ... - वन्दना गुप्ता
मुद्दा : क्या यही है सुन्दरता का अर्थ ? - लोकेन्द्र सिंह राजपूत
हाइकु: प्रेम - रचना श्रीवास्तव
वन्य जीवन: क्या फिर गूंजेगी सफेद शेरों ... - प्रमोद भार्गव
जन्म शताब्दी: मंटो- कालजयी व्यक्तित्व कभी...
कहानी: भिखारिन - रवीन्द्रनाथ टैगोर
कविता: अगर प्यार में और कुछ नहीं - रवीन्द्रनाथ टैगोर
श्रद्धांजलि: कुछ नजर हंसी कुछ ... - शिशिर कृष्ण शर्मा
कविता: छोटे कंधे पर बड़ा बोझ - ऋता शेखर 'मधु'
सर्वगुण संपन्न माँ - कवि विष्णु नागर
माँ जो हूँ -रश्मि प्रभा
ब्लॉग बुलेटिन से: वक्त का सूरज अभी डूबा... - रश्मि प्रभा
तंबाकू निषेध दिवस: सिर्फ प्लास्टिक पाउच पर ... - पारुल भार्गव
पिछले दिनों
वाह भई वाह
आपके पत्र
रंग- बिरंगी दुनिया
1 comment:
मेरी कविता को स्थान देने के लिए आभार !!!
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