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- इस्मत जैदी
है होली रंगों का त्यौहार
ये रंग बाँटे हैं सब में प्यार
न इन में द्वेष घोलना।
ये सुंदर भावों का संचार।
है इक दूजे की ये मनुहार
न इन में द्वेष घोलना।
है होली नफरत से इंकार
दिलों के बीच न हो व्यापार
न इन में द्वेष घोलना।
है पिचकारी वो प्रेम की धार
गिरा दे नफरत की दीवार
न इन में द्वेष घोलना
हैं इन रंगों के अर्थ हजार
नहीं हैं केवल ये बौछार
न इन में द्वेष घोलना
संपर्क: 9-ए, एफ-1, मॉडल लिजेसी, टालेगाव, गोवा- 403002
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