चॉकलेट से बच्चों में ग्लूकोज की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो एक तरह से कम उम्र में मधुमेह को न्यौता देने जैसा है। हालांकि सप्ताह में एकाध बार चॉकलेट आईसक्रीम का स्वाद लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा मोटापे और वजन बढऩे के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है।
बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों की चॉकलेट आईसक्रीम खाने की आदत को उनके लिए खतरनाक मानते हैं।
बाल चिकित्सक डॉ. संजीव सूरी कहते हैं कि चॉकलेट आईसक्रीम की आदत बच्चों में लत का रूप ले लेती है, क्योंकि इसमें कैफीन जैसे रासायनिक तत्व होते हैं, जिससे दिमाग को इसकी आदत पड़ जाती है। ऐसे में बार- बार इसे खाने का मन
करता है।
उन्होंने बताया कि चॉकलेट से बच्चों में ग्लूकोज की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो एक तरह से कम उम्र में मधुमेह को न्यौता देने जैसा है। हालांकि सप्ताह में एकाध बार चॉकलेट आईसक्रीम का स्वाद लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा मोटापे और वजन बढऩे के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विद्या साहू कहती हैं कि चॉकलेट आईसक्रीम के सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता धीमी हो सकती है। इसका अधिक सेवन सिरदर्द का कारण भी बन सकता है। इसमें कृत्रिम चीनी होने की वजह से मोटापा भी बढ़ता है और मधुमेह, रक्तचाप, धमनियों का कड़ा होना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
डॉ. विद्या ने बताया कि बच्चों में चॉकलेट आईसक्रीम के ज्यादा सेवन से एकाग्रता न हो पाने की समस्या हो जाती है। इसके अलावा, स्वाद और ताजगी के लिए इसमें मिलाए जाने वाले कई तत्व और रसायन जिगर तथा गुर्दे के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामेन्द्र सिंह ने कहा कि चॉकलेट खाना सेहत के लिए फायदेमंद कम और नुकसानदायक अधिक होता है। चॉकलेट आईसक्रीम को इससे अलग नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा तनाव में होने पर थोड़ी चॉकलेट खाना बहुत अच्छा होता है। इससे तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन का स्राव नियंत्रित होता है। मगर तनाव में सिर्फ सादी चॉकलेट ही फायदेमंद होती है। इसमें आइसक्रीम चॉकलेट की कोई भूमिका नहीं होती।
बहरहाल, डॉ. सिंह ने कहा कि स्वाद की वजह से अक्सर बच्चे चॉकलेट आईसक्रीम पसंद करते हैं पर इससे उनको नुकसान हो सकता है। कैफीन तत्व सेहत के लिए हानिकारिक होता है और चॉकलेट आईसक्रीम में कैफीन होता है। जाहिर है कि बच्चों को इससे नुकसान होगा। इसीलिए अभिभावकों को सतर्क रहना चाहिए।
बाल चिकित्सक डॉ. संजीव सूरी कहते हैं कि चॉकलेट आईसक्रीम की आदत बच्चों में लत का रूप ले लेती है, क्योंकि इसमें कैफीन जैसे रासायनिक तत्व होते हैं, जिससे दिमाग को इसकी आदत पड़ जाती है। ऐसे में बार- बार इसे खाने का मन
करता है।
उन्होंने बताया कि चॉकलेट से बच्चों में ग्लूकोज की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो एक तरह से कम उम्र में मधुमेह को न्यौता देने जैसा है। हालांकि सप्ताह में एकाध बार चॉकलेट आईसक्रीम का स्वाद लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा मोटापे और वजन बढऩे के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विद्या साहू कहती हैं कि चॉकलेट आईसक्रीम के सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता धीमी हो सकती है। इसका अधिक सेवन सिरदर्द का कारण भी बन सकता है। इसमें कृत्रिम चीनी होने की वजह से मोटापा भी बढ़ता है और मधुमेह, रक्तचाप, धमनियों का कड़ा होना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
डॉ. विद्या ने बताया कि बच्चों में चॉकलेट आईसक्रीम के ज्यादा सेवन से एकाग्रता न हो पाने की समस्या हो जाती है। इसके अलावा, स्वाद और ताजगी के लिए इसमें मिलाए जाने वाले कई तत्व और रसायन जिगर तथा गुर्दे के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामेन्द्र सिंह ने कहा कि चॉकलेट खाना सेहत के लिए फायदेमंद कम और नुकसानदायक अधिक होता है। चॉकलेट आईसक्रीम को इससे अलग नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा तनाव में होने पर थोड़ी चॉकलेट खाना बहुत अच्छा होता है। इससे तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन का स्राव नियंत्रित होता है। मगर तनाव में सिर्फ सादी चॉकलेट ही फायदेमंद होती है। इसमें आइसक्रीम चॉकलेट की कोई भूमिका नहीं होती।
बहरहाल, डॉ. सिंह ने कहा कि स्वाद की वजह से अक्सर बच्चे चॉकलेट आईसक्रीम पसंद करते हैं पर इससे उनको नुकसान हो सकता है। कैफीन तत्व सेहत के लिए हानिकारिक होता है और चॉकलेट आईसक्रीम में कैफीन होता है। जाहिर है कि बच्चों को इससे नुकसान होगा। इसीलिए अभिभावकों को सतर्क रहना चाहिए।
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