माँ पर केंद्रित अंक
डॉ. परदेशी राम वर्मा द्वारा संपादित अव्यवसायिक त्रैमासिक पत्रिका अगासदिया अपने आरंभिक काल से लेकर किसी न किसी विशेष विषय पर केंद्रित रहती है, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति, साहित्य एवं लोककला पर आधारित होती है। आगासदिया का जुलाई- सितंबर 2009 का अंक मां पर केंद्रित किया गया है। जिसमें संपादक ने अपने समकालीन मित्रों और वरिष्ठ जनों से आग्रह कर मां पर उनके विचारों को लिपिबद्ध करवाया है। अंक में उनके अपने कुछ लेखों के साथ गजानन माधव मुक्तिबोध, आचार्य सरोज द्विवेदी, आनंद मूर्ति आत्मानंद, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. श्यामाचरण शुक्ल, संत पवन दीवान, केयूर भूषण, श्यामलाल चतुर्वेदी जैसे म के संस्मरण तथा उनके समकालीन मित्रों के आलेख, कहानी, कविता भी शामिल हैं। भिलाई दुर्ग से प्रकाशित इस विशेष अंक की कीमत 150/- रुपए है।
बच्चों की समस्याएं
श्री प्रकाशन दुर्ग छत्तीसगढ़ से प्रकाशित पुस्तक बच्चों की हरकतें प्रो. अश्विनी केशरवानी द्वारा 1980 से 2000 तक विभिन्न पत्रिकाओं जैसे धर्मयुग, नवनीत तथा अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशित बच्चों पर केंद्रित उनके 27 लेखों का संकलन है। इन लेखों के माध्यम से प्रो. केशरवानी ने जन्म लेने से लेकर बच्चों के पालन- पोषण, संस्कार, आदतें, माता-पिता की जिम्मेदारी, शिक्षा जैसे मनोवैज्ञानिक प्रश्नों के साथ बाल मजदूरी जैसी समस्या को भी उठाया है। किताब की कीमत 150/- रुपए है।
तपती धूप में...
गम में भीगी खुशी और चरागे दिल के बाद देवी नागरानी का यह तीसरा गज़ल संग्रह है। देवी नागरानी के गज़लों में संवेदना और भाषा की काव्यात्मकता के साथ जीवन के विभिन्न उतार चढ़ाव का समावेश होता है। गज़ल कहने की अपनी अलग शैली के कारण उनकी गजलों की रंगत कुछ और हो जाती है।
'हमें पहुंचाये मंजिल तक, कोई ऐसी डगर देना,
जो तपती धूप में साया घना दे, वो शज़र देना।'
जिंदगी की जटिलताओं के बीच अपने संघर्ष का इजहार करने के लिए देवी गजलों का सहारा लेती हैं। गज़लों में उन्होंने सुनामी जैसी घटनाओं पर भी लिखा है-
'सुनामी ने सजाई मौत की महफिल फिजाओं में
शिकारी मौत बन कर चुपके- चुपके से कफन लाया।'
संयोग प्रकाशन मुम्बई से प्रकाशित किताब की कीमत 150/-रुपए है।
बच्चों की समस्याएं
श्री प्रकाशन दुर्ग छत्तीसगढ़ से प्रकाशित पुस्तक बच्चों की हरकतें प्रो. अश्विनी केशरवानी द्वारा 1980 से 2000 तक विभिन्न पत्रिकाओं जैसे धर्मयुग, नवनीत तथा अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशित बच्चों पर केंद्रित उनके 27 लेखों का संकलन है। इन लेखों के माध्यम से प्रो. केशरवानी ने जन्म लेने से लेकर बच्चों के पालन- पोषण, संस्कार, आदतें, माता-पिता की जिम्मेदारी, शिक्षा जैसे मनोवैज्ञानिक प्रश्नों के साथ बाल मजदूरी जैसी समस्या को भी उठाया है। किताब की कीमत 150/- रुपए है।
तपती धूप में...
गम में भीगी खुशी और चरागे दिल के बाद देवी नागरानी का यह तीसरा गज़ल संग्रह है। देवी नागरानी के गज़लों में संवेदना और भाषा की काव्यात्मकता के साथ जीवन के विभिन्न उतार चढ़ाव का समावेश होता है। गज़ल कहने की अपनी अलग शैली के कारण उनकी गजलों की रंगत कुछ और हो जाती है।
'हमें पहुंचाये मंजिल तक, कोई ऐसी डगर देना,
जो तपती धूप में साया घना दे, वो शज़र देना।'
जिंदगी की जटिलताओं के बीच अपने संघर्ष का इजहार करने के लिए देवी गजलों का सहारा लेती हैं। गज़लों में उन्होंने सुनामी जैसी घटनाओं पर भी लिखा है-
'सुनामी ने सजाई मौत की महफिल फिजाओं में
शिकारी मौत बन कर चुपके- चुपके से कफन लाया।'
संयोग प्रकाशन मुम्बई से प्रकाशित किताब की कीमत 150/-रुपए है।
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