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Oct 3, 2018

किसको जलाया जाए

किसको जलाया जाए
डॉ.कविता भट्ट
जब सरस्वती दासी बनलक्ष्मी का वंदन करती हो   
रावण के पद-चिह्नों का नित अभिनन्दन करती हो 
सिन्धु-अराजकभय-प्रीति दोनों ही निरर्थक हो जाएँ  
और व्यवस्था सीता-सी प्रतिपल लाचार सिहरती हो

अब बोलो राम! कैसे आशा का सेतु बनाया जाए
अब बोलो विजयादशमी पर किसको जलाया जाए

जब आँखें षड्यंत्र बुनेंकिन्तु अधर मुस्काते हों
भीतर विष-घटकिन्तु शब्द प्रेम-बूँद छलकाते हों
अनाचार-अनुशंसा में नित पुष्प-हार गुणगान करें 
हृदय ईर्ष्या से भरे हुएकंठ मुक्त प्रशंसा गाते हों

क्या मात्ररावण-दहन का झुनझुना बजाया जाए 
अब बोलो विजयादशमी पर किसको जलाया जाए  

विराट बाहर का रावणभीतर का उससे भी भारी
असंख्य शीश हैंपग-पग परबने हुए नित संहारी
सबके दुर्गुण बाँच रहे हमस्वयं को नहीं खँगाला है   
प्रतिदिन मन का वही प्रलापबुद्धि बनी भिखारी 

कोई रावण नाभि तो खोजोकोई तीर चलाया जाए
अब बोलो विजयादशमी पर किसको जलाया जाए

सम्पर्कः FDC, PMMMNMTT, द्वितीय  तल , प्रशासनिक खण्ड ll,
हे.न.ब.गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल)उत्तराखंड   -246174

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