उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Jul 12, 2018

यादों के मेघ

यादों के मेघ
 - सुदर्शन रत्नाकर
1
वर्षा की बूँदें
रिमझिम बरसी
धरा सरसी।
2
आया सावन
कैसा मन भावन
सरसा मन।
3
बरसे आज
यादों के मेघ जैसे
आँखों से आँसू।
4
बही पुरवा
बादल हैं लरजे
बारिश लाए।
5
बादल झुके
भू को छू नहीं पाए
रोने वे लगे।
6
आई है वर्षा
मन सबका हर्षा
खिली प्रकृति।
7
शांत करती
तपती जो धरती
बूँदें जल की।
8
चेहरा छूती
बारिश की फुहारें
ज्यों माँ का स्पर्श।
9
सोंधी ख़ुशबू
पहली फुहार की
करती मस्त।
10
फुदके पक्षी
हरी हुईं शाखाएँ
वर्षा आने से।
11
बरसे घन
विरहिणी के आँसू
बिन साजन।
12
भीगते रहे
बरसात में हम
प्यासा है मन।
13
वर्षा की रितु
धरती है सँवरी
किया शृंगार।
14
रूई के फ़ाहे
आकाश में लटके
फिर बरसे।
15
नहीं बरसे
गरजते बादल
मन तरसे।
16
अँधेरा छाया
बादलों ने छुपाया
चाँद तारों को।
--
 सम्पर्क: -29, नेहरू ग्राउंड, फ़रीदाबाद -121001, मो. 9811251135E-mail- sudershanratnakar@gmail.com

No comments: