- विभा रश्मि
1
जलद लेके
आ गया डाक बाबू
भीगी चिठिया।
2
राग रसीले
गाती गान सुरीले
ठंडी बौछारें।
3
इंद्रधनुषी
सतरंगे तारों को
माँगे मानुषी।
4
सूखी धरा पे
टपटप टपकीं
बूँदें मस्तानी।
5
जीवन जल
पी रही धरा प्यासी
सहस्र ओक।
6
पखेरू भरे
परवाज़ आसमाँ
मेघों से डरे।
7
मेघ गर्जना
तडि़त चमकार
नव सर्जना।
8
नौका ले चल
नदिया छल -छल
तूफाँ के पल।
9
मेघों ने बाँधी
मन से प्रीत डोर
बूँदों के आँसू।
10
ज़ख्म हैं खाए।
दिल को दर्द भाए
मिला पावस।
11
बरखा बूँदें
गुदगुदातीं मन
ग़ज़ब फ़न।
12
लय ताल से
रिमझिम बरसे
धरा हरसे ।
13
पंख झाड़ता
बाल्कनी में परिन्दा
बैठा अल्गनी।
14
नन्ही ने देखी
बरसात पहली
बूँदों से खेली।
15
बरखा- मेघ
उमड़ -घुमड़ आ
हरित सजा।
16
नीड़ों में बैठे
चूज़े रूठे- ठुनके
भीगे माँ संग।
17
रेत ने पी ली
ओक भर बारिश
था कौतूहल ।
18
सिमटा ताल
पावस देखकर
नाचा दे ताली ।
19
दादुर गाते
बरखा गुणगान
बेसुरी तान ।
20
छेड़ो मल्हार
गरज रहे जलद
वर्षा आमद ।
21
रंगीं छतरी
करती खुशरंग
परिभाषित ।
22
भीगे मजूर
छाता था छेदोंवाला
दिल से आला ।
सम्पर्क: गुडगाँव, 9414296536, E-mail- vibharashmi31@gmail.com
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