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Jun 1, 2025

कविताः गायब

 -  राजेश पाठक

नदियाँ गायब गायब जंगल

गायब हुआ पहाड़

हाथी की चिंघाड़ है गायब

गायब सिंह दहाड़


धोती गायब गायब साड़ी

गायब तन से लत्ता

पत्तल पर से अन्न है गायब

उस पर चील झपट्टा


किलकारी बच्चों की गायब

गायब माँ का दूध

दूर तलक की दृष्टि गायब

गायब वायु शुद्ध


अधिकारी आफिस से गायब

गायब रात का प्रहरी

लोगों की आवाज है गायब

उस पर सत्ता बहरी!


सम्पर्कः
गिरिडीह, झारखंड- 815301, मो नं.  9113150917 

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