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May 2, 2025

कविताः नमस्कार

 - रवींद्रनाथ टैगोर

 अनुवाद: मुरली चौधरी

"अरे ओ नवयुवक,

अरे मेरे बच्चे,

अरे हरे-भरे, अरे अबोध,

कोमल पत्तों की बहार

प्रकाश के देश में

तू ले आया ताज़ा फूलों की माला

नए रूप में।

तेरी यात्रा शुभ हो।" 

(यह कविता (काज़ी नज़रुल इस्लाम के प्रति रवींद्रनाथ की आशीर्वचन-स्वरूप श्रद्धांजलि है, जिसमें उनकी रचनात्मक ऊर्जा को नमन किया गया है। )

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