गाइड ने एक-एक करके सभी के चेहरे पर टॉर्च की सीधी रोशनी डाली । यद्यपि गाइड सभी का चेहरा नहीं देख पा रहा था - झीनी रोशनी के घेरे में शरीर का ढाँचा भर देख पा रहा था। ट्रैकर से जितना बन पड़ रहा था, वे ब्रह्मताल सम्मिट पॉइण्ट की ओर खिसक रहे थे । आकाश का अधिकांश हिस्सा साफ हो चुका था। एक - आध तारा ही चमक रहा था। सभी ने अपनी टॉर्च बन्द कर ली थी। पीठ पर रुकसैक चिपकाए, 11227 फीट की ऊँचाई पर चढ़ आए थे। पैरों में ताकत नहीं थी। आली बुग्याल के पीछे पहाड़ पर लालिमा जैसा दिख रहा था। धड़कने थामें हुए सभी ट्रैकर कैमरों का शटर खोल रहे थे। एक जनवरी के सूर्योदय की थोड़ी- सी रोशनी ऊपर उठकर पहाड़ों को प्रकाशित कर रही थी। ट्रैकर का फोटो शूट अनवरत चल रहा था। सूर्योदय हो चुका था। अभी वह पेड़ की दो शाखाओं के बीच टिका था ; लेकिन देखते-देखते ऊपर चढ़ गया। झंडी टॉप पर आते-आते सूर्य देवता सिर पर आ चुके थे। मैंने चारों ओर निगाह दौड़ाई। ब्रह्मताल नजरों से ओझल हो रहा था ।
धूप- सिंचित
नए वर्ष की भोर
मन विभोर ।
■
3 comments:
नव वर्ष के प्रथम सूर्योदय का स्वागत करता सुन्दर हाइबन, बधाई डॉ. भीकम सिंह जी 💐
नव वर्ष के प्रथम सूर्योदय का स्वागत करता सुन्दर हाइबन, बधाई डॉ. भीकम सिंह जी 💐
Reply
सूर्योदय का बहुत सुंदर चित्रण । हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी । सुदर्शन रत्नाकर
Post a Comment