- नन्दा पाण्डेय
एक बंद पड़ी
किताब थी वो!
जिसने न धूप देखी
न वसंत देखा
न पूस की रात देखी
न पतझड़ के दिन देखे
जिसने
न झरने देखे
न पहाड़ देखा
क्योंकि...
किसी ने उसे
पढ़ा ही नहीं
इस किताब के
पन्ने को पलटकर
तुमने उसकी ज़िंदगी पलट दी!
धन्यवाद सर 🙏
बहुत खूब मैम
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2 comments:
धन्यवाद सर 🙏
बहुत खूब मैम
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