देश की जनता गरीब और नेता अजीबो- गरीब है । सरकार ने घोषणा कर दी कि सरकार गरीबी को खत्म करके ही दम लेगी । गरीबी पाप है और जो सरकार उसे बर्दाश्त करती है वह महापापी है । सरकार जानती है कि अगर हमने गरीबी को खत्म नहीं किया तो गरीब हमें खत्म कर देंगे। जब गरीबी खत्म हो जाएगी तो गरीबी के साथ-साथ जनगीत और विद्रोही नज्में भी खत्म हो जाएँगी ; क्योंकि इनका चोली दामन का साथ है।
सरकार ने गरीबी हटाओ अभियान के तहत एक समिति का गठन किया जिसके अध्यक्ष शातिर अली शातिर नियुक्त किए गए। पत्रकार वार्ता में गरीबी से संबंधित घोषणा करने के बाद महोदय ने मौजूद पत्रकारों को सवाल करने के लिए आमंत्रित किया। एक पत्रकार ने पूछा कि गरीबी खत्म करने के लिए कम से कम आपको कितना समय लगेगा? इस पर महोदय ने बताया कि देश से गरीबी खत्म करने के लिए कम से कम तीन सौ साल का समय लगेगा।
पत्रकार ने कहा कि तीन सौ साल तो बहुत ज्यादा होते हैं इतने दिन तो आदमी जीवित भी नहीं रहेगा । इस पर महोदय ने कहा कि हम अपने काम को बखूबी अंजाम देंगे अंजाम देखने के लिए अगर आप जिंदा नहीं रहे तो यह हमने जनता के साथ नहीं बल्कि जनता के साथ जिंदगी ने धोखा किया है यह माना जाएगा और जिंदगी ने आपके साथ धोखा किया तो इसकी जिम्मेदार सरकार नहीं है। अगर आप तीन सौ साल जिंदा रहते हो तो देख लेना हम गरीबी को खत्म करने में पूरी तरह सफल रहेंगे।
पत्रकार ने पूछा -लेकिन इतना अधिक समय क्यों लगेगा? इस पर शातिर जी ने बताया कि इसकी मुख्य वजह यह है कि इस गरीबी को आज इस मुकाम तक आने में तीन हज़ार साल लगे हैं। जो काम तीन हज़ार साल में हुआ है, उसे हम तीन दिन में तो हल नहीं कर सकते न।
एक ने प्रश्न किया कि गरीबी हटाने के लिए सरकार प्रथम चरण में क्या-क्या कदम उठा रही है ? इस प्रश्न के उत्तर में बताया कि सबसे बड़ा कदम तो यह है कि हर मंत्री को यह सख्त निर्देश दिया गया है कि वह अपनी हर सभा में अपने हर भाषण में इस बात पर जोर दें कि हम वादा करते हैं कि गरीबी जल्द से जल्द हटा देंगे। भले जनता यह सुनकर सिराज लखनवी का यह शेर गुनगुनाने पर मजबूर हो जाए -
वही लहजा वही तेवर कसम है तेरे वादे की,
जरा भी शक नहीं होता कि यह झूठी तसल्ली है।
इसके साथ ही सरकार बहुत बड़ी मात्रा में मोमबत्ती और अगरबत्ती बनाने के काम को प्रोत्साहन दे रही है मोमबत्ती से गरीब का जीवन रोशन और अगरबत्ती से सुगंधित होगा ।
एक और प्रश्न आया कि इस वक्त अमीर और गरीब के बीच में जो खाई है उसे पाटने के लिए सरकार क्या कर रही है ?
शातिर जी ने बड़े गर्व के साथ बताया कि फिलहाल सरकार ने अमीर और गरीब के बीच में शराब के वितरण में समानता लाने का अहम फैसला किया है। 15 अगस्त के बाद कोई अमीर शख्स किसी महफ़िल में अंग्रेजी शराब के दस और देसी शराब के पंद्रह पेग से ज्यादा नहीं पी सकेगा | इस तरह जो शराब बचेगी व गरीबों में वितरित कर दी जाएगी ।
प्रश्नकर्ता को आश्चर्य हुआ और उसने कहा- आपको शराब की सूझ रही है, लेकिन गरीब तो हाय रोटी हाय रोटी कर रहा है?
शातिर मियाँ ने यह रहस्य बताते हुए कहा कि गरीब को जब तक पीने को नहीं मिल रही है तभी तक वह खाने की बात कर रहा है । शराब में भले लाख बुराई हो लेकिन यह बहुत अच्छी बात है कि वह सारे गमों को भुला देती है | गरीब शराब पीकर भूल जाएगा कि वह गरीब है।
लेकिन सरकार ने तो पूर्णतया शराबबंदी का वादा किया हुआ है फिर उसका क्या ?
शातिर साहब ने इस सवाल का बहुत ही तरीके से और बहुत ही सलीके से जवाब देते हुए कहा कि आप जो कह रहे हैं वह मैंने भी सुना है लेकिन बात को जरा ध्यान देकर समझना होगा कि यह वादा सरकार ने नहीं किया है बल्कि गांधीजी ने किया है और यह समझने की बात है कि सरकार एक अलग चीज है गांधीजी एक अलग चीज है।
अच्छा यह बताइए कि पिछले पाँच बरस में आपने गरीबी को किस हद तक कम किया है?
देखिए ऐसा है इतने बड़े देश में इतने बड़े काम को अंजाम देने के लिए पाँच वर्ष का समय कोई समय नहीं होता है। अभी तक तो हम देश की जनगणना ही नहीं कर सके हैं। हमें मालूम ही नहीं कि देश में गरीबों की संख्या कितनी है या देश में गरीब हैं भी या नहीं। यह भी तो हो सकता है, जो अपने को गरीब समझ रहे हो, वह वास्तव में गरीब ना हो इस बात का अंदेशा है कि लोग अपने से ज्यादा अमीर को देखकर अपने को गरीब महसूस कर रहे हैं। देश में गरीबी के संबंध में हमने जो जानकारियाँ एकत्र की है उसमें यह रिपोर्ट मिली है कि देश में गरीबी नहीं है बस लोगों में यह भ्रम बना हुआ है कि वह गरीब है। गरीबी हटाने के लिए बस हमें उनके इस भ्रम को खत्म करना होगा, तो गरीबी स्वतः ही खत्म हो जाएगी। अभी हम को लोगों के घर-घर तक यह संदेश पहुँचाना हैं कि अगर वह गरीब हैं, तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं बल्कि यह तो उनके लिए गर्व की बात है कि वह गरीब है। अगर वह अपना पुराना इतिहास उठाकर देखेंगे तो उन्हें मालूम होगा कि जितने भी संत, पीर, पैगंबर हुए हैं वह सब गरीब ही थे जो इंसान जितना गरीब है वह अपने पीर पैगंबर के उतने ही करीब है।
अच्छा श्रीमान यह बताइए जब आपने यह समिति चलाने के लिए इतनी बड़ी बिल्डिंग ले ली है, इतना फर्नीचर, इतना साज़ो-सामान ले लिया है, तो इतना खर्चा करने के बाद आपने गरीबी हटाने के लिए कुछ तो किया होगा ?
किया है ना हमने एक गाँव को पूर्णतया गरीबी से मुक्त कर दिया है और वहाँ सिर्फ अमीर लोग हैं । हम उस गाँव में गए वहाँ पता चला के यहाँ इतने अमीर और इतने गरीब लोग हैं, हमने बलपूर्वक गरीबों को गाँव से खदेड़ दिया और वहाँ सिर्फ अमीर ही रह गए हैं इस आधार पर कह सकते हैं कि हमने अपने विवेक से एक गाँव को पूर्णतया गरीबी से मुक्त कर दिया। ●
1 comment:
अत्यंत रोचक 🙏
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