कहते हैं कोई भी देश कभी मानचित्र से बड़ा नहीं
होता,
देश बड़ा होता है….देश के स्वरूप से……यानि अपनी संस्कृति और सभ्यता
से। देश बनता है देशवासी के चरित्र से। खैर अब एक प्रश्न आपसे पूछकर मैं आपकी सोच -संग में भी शामिल होना चाहूँगी….
आपकी नज़र में भारत की नई तस्वीर कैसी होगी? कुछ क्षण यहाँ
रुकिए और अवश्य उस खूबसूरत छवि को निहारिए।
मेरी नज़र और समझ का चश्मा तो एक स्वच्छ और
सशक्त भारत की उज्ज्वल रोशनी में एक साथ बहुत कुछ देख रहा है।
भारत की नवीनता नई तकनीक की संगिनी रूप में
दिखती है। कंप्यूटर, इंटरनेट, नए
सॉफ्टवेयर और नए मशीनकरण की दुनिया से संवर रहा है भारत, अब
भारत विज्ञान की पटरी पर विश्व की अन्य तेज़ गाड़ियों के संग गतिमय है। डिजिटल और
मीडिया की कश्ती भी संतुलित हो तकनीकी लहरों पर सदाबहार है। विदेशी कंपनियों ने भी
अपनी छवि से स्टार्ट अप की चेतन जगाकर भारतीय आईटी संपन्न युवा को नई उड़ान हेतु
सक्षम पंख दिए हैं। रेलवे, चिकित्सा, शिक्षा,खेल और कला क्षेत्र में भी नई तकनीक का सिक्का खूब चमक रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की बात करें तो समाज की
गतिविधियाँ बदलते स्वरूप की महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। सामाजिक रूढ़ियों
की जड़ें भी उखड़ती नज़र आ रही हैं भले ही पूरी तरह से टूटी नहीं हैं।
स्त्री-पुरुष समानता, बेटी बचाओ और पढ़ाओ की लहर भी
तेज़ गति में लहराती नज़र आती है। करोना की मार ने भले ही देश की अर्थव्यवस्था को
हिलाया है पर देश के वैज्ञानिकों की नई खोज और अपनी वैक्सीन की सफलता ने भारत को
विश्व में एक नई तस्वीर तो दी है। महिला समाज भी अपनी सेवाओं से एक नए दौर की
कहानी कहती है। फैशन हो या बॉलीवुड या मॉडलिंग की दुनिया, इतना
ही नहीं सोशल नेटवर्किंग ने भी सभी तारों
को जोड़ा है। ऑनलाइन ने पढ़ाई, दवाई, घरेलू
रोज़मर्रा का सामान भी घर देने की सुविधा को भारत की नई तस्वीर में रंग भरने में
अपना सहयोग दिया है। आज 90 वर्ष की भारतीय बूढ़ी माँ, जब
अपनी विदेश में रहने वाली बेटी को वाट्सअप कॉल करती है और ठीक से बात होने पर इंटरनेट की और स्मार्ट फोन की वाह-वाह
करती है, तो भारत की उभरती छवि समझ आने लगती है।
सभी कुछ बदलता, चमकता
और नया-नया लगता है, फिर भी हम भारतवासी ही एक दूसरे को
कोसते दिखाई देते हैं। फिर भी विदेशी छवि की माया में लिपटते दिखाई देते हैं। विदेशी चमक में माता-पिता, घर परिवार को धुँधला कर देश की मिट्टी को नकारा कर वहीं बसने के लिए पत्थर
तोड़ कशमकश करते हैं। क्यों आखिर क्यों…
पूछो, तो क्यों का जवाब है वहाँ quality life है और यहाँ
अनुशासन रहित, कम पैसे और गंदगी की अधिकता है। कामचोरी,
चालाकी और भ्रष्टाचार की प्रदूषित हवा है। देश वासियों में
ज़िम्मेदारी का अभाव है। ऐसा सुनते-समझते और परखते ही माथा ठनका, दिमाग की घंटियाँ बजने लगीं कि देश की स्वच्छता यानी कि देश की सुंदरता तो
नई तस्वीर है ही, पर अंतर्मन में शांति, नम्रता, शालीनता, सच्चाई के 24
कैरेट का सोना भी हमारी मानसिकता की तिजोरी में है या नहीं। इसे हम यूँ भी मनन कर
सकते हैं कि सम्प्रदाय, जाति, अमीर-गरीब,
वैमनस्य, अशिक्षा, गैरत
ये सब मैल यदि हम स्वयं अपने जीवन मूल्यों और पौराणिक व वैदिक संस्कृति के किस्सों
और कहानियों के मनन वाले साबुन से साफ़ करते रहेंगे, तो नए
भारत के उज्ज्वल स्वरूप को देख सकेंगे। तुलना छोड़ स्वपरिवर्तन को या यूँ कहें
-खुदपर काम करें तो अच्छा रहेगा। सबसे पहले तो दूसरी भाषा, रीति
रिवाजों पर या कमी कमज़ोरियों पर नोंकझोंक से पहले स्वयं को उन परिस्थितियों में
रखकर देखें, तो आपसी सम्बन्धों में मधुरता बढ़ेगी। व्यर्थ
समय बातों और शुगलमेलों से परे, शिक्षा को अपनी मशाल बनाते
ही भारत की तस्वीर विदेशियों को यहाँ का निवासी बनने का निमंत्रण दे सकती है।
भारत की
नई तस्वीर
स्वयं को बदलने वाले कैमरे से देखेंगे तो सोच ही
नहीं नज़रिया भी बदल जाएगा। जब हर एक अपने दायित्व की चक्की पीसेगा तो दूसरों पर
दोषारोपण के कंकर भी अपने आप ही छँट जाएँगे। जीवन में शांति की और सुख- संतुष्टि
की कामना है, तो ईमानदारी की मूठ को दृढ़ता से पकड़ना
होगा। भाई-भतीजावाद को छोड़कर , ऊँची-नीची जाति के प्रलोभनों
से परे योग्यता और नवीनता को एक साथ अपनाएँगे तो भारत की नई तस्वीर को चार-चाँद लग
जाएँगे।
नए भारत
की नई छवि, तकनीक के साथ हम स्वयं को बदलें, तो जग बदलना आसान हो जाएगा।
10 comments:
Wah.itne achae vichar.really we have to work on our thinking.india is great and we can make it best.
Absolutely true . Your vision reflected! I agree with you that we shouldn't waste time merely in discussions but take responsibility towards the betterment of our country.
India has always been a progressive nation and it will progress faster if communal harmony prevails.
Thank you 🙏
Wah.very well written and thought provoking. There is so much development still youth wants to migrate why. Why.
Aapane Bharat ki nai Chhavi dikhakar nai Soch ko Janm Diya Hai
darasal aaj Bharat Har Kshetra mein Aage Badh Raha Hai aapane is per Apne Vichar dekar Desh aur Samaj ki jimmedari bakhubi Nibhai hai
ATI Sundar Lekh hai👌🙏
Thanks 🙏
Bahut Shukriya 🙏
Thanks🙏
भारत की बहुत अच्छी छवि प्रस्तुत करता सुंदर आलेख बधाई । सुदर्शन रत्नाकर
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