1.
झरते पात
पतझड़-सा मन
रूठे साजन।
2.
मंद बयार
शरद सुहावना
मन कसके।
3.
धवल आभा
चाँद ने पसराई
याद वे आए।
4.
साँझ की बेला
चौखट से चिपकी
उदास आँखें।
5.
तमस छँटे
भोर का तारा हँसे
आशा भी जगे।
6.
शेफाली झरे
आँगन सुरभित
निराशा हरे।
7 .
कंपित बाती
हवा से सहमती
जलती रही।
8.
मन वीरान
बजे दूर बाँसुरी
हरती पीड़ा।
1 comment:
साँझ की बेला
चौखट से चिपकी
उदास आँखें।
बहुत सुंदर हाइकु, नायिका के हृदय की पीर को खूबसूरत शब्दों द्वारा प्रस्तुत किया गया है,💐💐
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