- रश्मि शर्मा
जंगल में खिला है
पलाश
स्मृतियाँ हैं
तुम्हारी
है बैंजनी आकाश
और
सूखे पत्तों से
घिरा मधुमास।
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स्मृतियों में है
कोई सुगन्ध,
कुछ रंग
गुजऱ कर भी कहाँ
गुजरता है सब कुछ
जीवन से..।
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स्मृतियों में बसी
होती है
गोधूली बेला
और
गोधूली बेला में
स्मृतियों के सिवा
कुछ नहीं बचता....।
सम्पर्क: राँची, झारखंड
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