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Dec 6, 2020

दो लघुकथाएँ - 1- प्रहरी, 2- मतदान से पहले

- श्याम सुन्दर अग्रवाल

1प्रहरी

एक दलित लड़की और उसके पिता की थाने में हुई बेरहम पिटाई व गाली-गलौज का विडियो टी.वी. चैनलों पर दिखाय जा रहा था। इसकी सूचना जब थानेदार सत्यवीर तक पहुँची, तो भर सर्दी में भी उसके माथे पर पसीने की बूँदें चमक उठीं। पिछले वर्ष भी ऐसा ही हुआ था और उसे निलंबित कर दिया गया था।

उसे बहाल करवाने वाले उच्चाधिकारियों के दबाव के आगे उसने अपने परिवार की एक न सुनी थी। स्थानीय विधायक के विरुद्ध बलात्कार का आरोप लगाने वाली दलित लड़की व उसके पिता के खिलाफ चोरी के झूठे केस दर्ज कर लिये थे। उसे लड़की और उसके पिता को ‘सबक’ सिखाने के लिए भी कहा गया था।

थाने के ऊपरी भाग में अपनी रिहायश से उतरते ही उसने बाप-बेटी को ‘सबक’ सिखाने से पहले सिपाहियों सहित सबके मोबाइल-फोन अपने ऑफिस में रखवा लिए थे, ताकि कोई विडियो ना बना सके। सबकी जेबों की दो बार तलाशी ली गई थी। फिर भी विडियो बन गया। सत्यवीर हैरान भी था और परेशान भी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। दिमाग को थोड़ा शांत करने के लिए वह सीढ़ियाँ चढ़ अपने बैडरूम में पहुँच गया।

पत्नी पानी का गिलास देते हुए बोली, “चाय बनाऊँ?”

वह कुछ बोलता उससे पहले ही ऊपर से फोन आ गया। त्वरित कारवाई के नाम पर उसे निलंबित कर दिया गया था। विडियो बनाने वाले को ढूँढ, उसके विरुद्ध सख्त कारवाई का आदेश भी था।

पत्नी की ओर देखता हुआ वह बोला, “समझ नहीं आ रहा कि यह विडियो कैसे बन गया। कैसे खोजूँ इस विडियो बनाने वाले को? मिल जाए तो साले को…”

पत्नी एकटक उसके चेहरे की ओर देखती रही और फिर बोली, “चढ़ा दो फाँसी पर या मार दो गोली, विडियो तो आपके बेटा-बेटी ने मिलकर बनाया है।”

पत्नी की बात सुनते ही सत्यवीर पसीने से नहा गया।

2मतदान से पहले

मतदान की तारीख करीब आती जा रही थी। चुनाव लड़ रहे मंत्री जी के यहाँ रोज रात को स्थिति पर मंथन होता। अबकी बार स्थिति विकट लग रही थी। एक-एक वोट पर ध्यान था। वोटरों के दूर बैठे रिश्तेदारों से भी कहलवाया जा रहा था।

मंत्री जी ने अपने करीबी और सगे भाई शिवचरण से कहा, “किसी भी कीमत पर हमें जीतना है। हर एक बिकाऊ वोट खरीद लो, विरोधी के खाते में नहीं जाना चाहिए।”

शिवचरण भी तहेदिल से निभा रहा था जिम्मेदारी। सबको पता था कि वह मंत्री जी का खास है। फील्ड में काम करने वालों की ड्यूटियाँ लगा दी गईं थी। पैसा सभी हाथों तक पहुँचाया जा चुका था। रोज शाम को मंत्री जी अपने विश्वस्त सूत्रों से सारी रिपोर्ट लेते।

चुनाव से केवल दो दिन पहले किसी ने शिवचरण को गोलियों से भून डाला। पूरे क्षेत्र में खलबली मच गई। हत्या का आरोप विपक्षी उम्मीदवार पर लगा। नामजद एफ.आई.आर दर्ज करवाई गई।

चुनाव हुआ और मंत्री जी जीत गए। रात को शिवचरण की तस्वीर के सामने खड़े हो वे बोले, “क्षमा कर देना भाई, चुनाव जीतने का और कोई उपाय कारगर दिखाई नहीं दे रहा था।”

सम्पर्कः 520, गली नं: 5, प्रताप सिंह नगर, कोटकपूरा (पंजाब) — 151204, मोबा: 98772-77050, ई.मेल: sundershyam60@gmail.com

1 comment:

Sudershan Ratnakar said...

वर्तमान राजनीति के सत्य को उजागर करती बहुत सुंदर लघुकथाएँ।