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Dec 6, 2020

हाइकु- पतझड़

 -  डॉ. महिमा श्रीवास्तव

1.

झरते पात

पतझड़- सा मन

रूठे साजन।

2.

मंद बयार

शरद सुहावना

मन कसके।

3.

धवल आभा

चाँद ने पसराई

याद वे आ

4.

सांझ की बेला

चौखट से चिपकी

उदास आँखें।

5.

तमस छँटे

भोर का तारा हँसे

आशा भी जगे।

6.

शेफाली झरे

आँगन सुरभित

निराशा हरे।

7 .

कंपित बाती

हवा से सहमती

जलती रही।

8.

मन वीरान

बजे दूर बांसुरी

हरती पीड़ा

सम्पर्कः 34/ 1, सर्कुलर रोड, मिशन कंपाउंड के पासअजमेर( राज.)

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