-डॉ. कविता भट्ट
1. प्रथम अनिवार्य प्रश्न-सा
पहाड़ियों से बहती बयार;
मेरे तन-मन को छूकर
संगीत के साथ बहती है;
चढ़ाई-उतराई की पीड़ा को
कर्णप्रिय स्वरलहरी में बदलने हेतु
सक्षम है; अतः मेरे लिए विशेष है।
मेरे तथाकथित घर की
खिड़की से दिखती है
एक नदी, जिसकी मृदु-तरंगित लहरें
कठोर सीने वाले पत्थरों पर
संघर्ष से सफलता लिखने हेतु
सक्षम हैं; अतः मेरे लिए विशेष है।
और हाँ दिखता है एक पीपल भी
दूर पर्वत की चोटी पर खड़ा
कर्मयोगी-सा तपस्यारत
सबके बीच रहकर भी है विरक्त
बिना प्रतिदान चाहे, प्राणवायु बाँटने हेतु
सक्षम है; अतः मेरे लिए विशेष है।
बहती बयार, नदी की लहरों
और कभी-कभी पीपल बन
परीक्षापत्र के प्रथम अनिवार्य प्रश्न-सा
एक प्रश्न, जो उठता ही रहता है
प्रायः मेरे व्याकुल मन में;
'हम' विशेष क्यों नहीं हो सके?
2. झरोखे से
मद्धिम दीपशिखा की रोशनी में
देखो दूर पहाड़ी पर बैठे चाँद को;
स्नान कर आया है जो-
चाँदनी के चुम्बनों से
वृक्षों की झुरमुट में छुपकर।
अहा! चाँद
अच्छा है कि तुम और तुम्हारी चाँदनी
दुनियादार नहीं हो;
अन्यथा इतने निर्भीक होकर
तुम पहाड़ी पर न बैठ पाते।
4 comments:
प्राकृतिक छटा का सुंदर चित्रण।
Bahut sunder
बहुत सुंदर सृजन
बहुत सुंदर!
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