- गिरीश पंकज
उसने इस बार भी मुझसे कहा था कि नए साल पर कुछ करके दिखाऊँगा। मैंने उसे गंभीरता से नहीं लिया; क्योकि पिछले साल भी उसने वादा किया था कि अगले साल कुछ करके दिखाऊँगा; लेकिन कुछ ख़ास नहीं किया। मतलब वो पक्का झूठा निकला। कुछ लोग हमारे यहाँ यही करते हैं। जो कहते हैं, वो करते कहाँ हैं? मैं सोचने लगा, कहीं ये लड़का बर्बादी की राह पर तो नहीं चल पड़ा? इतनी उम्र हो गई है। कुछ तो करे।
युवक के वादे को मैं भूल चुका था, मगर उस दिन नये साल के पहले दिन ही बंदा बाजार में मिल गया। उसने विचित्र हुलिया बना रखा था। उसने मैली-कुचैली किस्म की जींस की फुलपैंट पहन रखी थी, जो बुरी तरह फटी हुई थी. सामने से लगभग तार-तार। टी-शर्ट का रंग भी मैला-कुचला किस्म का था। बंदे ने दाढ़ी भी बढ़ाई हुई थी। बाल भी लड़कियों की तरह लम्बे कर रखे थे।
उसने इस बार भी मुझसे कहा था कि नए साल पर कुछ करके दिखाऊँगा। मैंने उसे गंभीरता से नहीं लिया; क्योकि पिछले साल भी उसने वादा किया था कि अगले साल कुछ करके दिखाऊँगा; लेकिन कुछ ख़ास नहीं किया। मतलब वो पक्का झूठा निकला। कुछ लोग हमारे यहाँ यही करते हैं। जो कहते हैं, वो करते कहाँ हैं? मैं सोचने लगा, कहीं ये लड़का बर्बादी की राह पर तो नहीं चल पड़ा? इतनी उम्र हो गई है। कुछ तो करे।
युवक के वादे को मैं भूल चुका था, मगर उस दिन नये साल के पहले दिन ही बंदा बाजार में मिल गया। उसने विचित्र हुलिया बना रखा था। उसने मैली-कुचैली किस्म की जींस की फुलपैंट पहन रखी थी, जो बुरी तरह फटी हुई थी. सामने से लगभग तार-तार। टी-शर्ट का रंग भी मैला-कुचला किस्म का था। बंदे ने दाढ़ी भी बढ़ाई हुई थी। बाल भी लड़कियों की तरह लम्बे कर रखे थे।
मैं चिंतित हो गया. पूछा, ''अरे-अरे, तुमने ये क्या हाल बना रखा है? फुलपैंट की माली हालत
इतनी खराब? क्या हुआ, दिवाला पिट गया
है क्या?''
वह हँसकर बोला, ''आपके दिमाग का निकल गया है। फैशन को समझ नहीं पाए और दिवाला पीट रहे हैं मेरा।''
मैंने कहा, '' भाई, मेरे तुम जैसे कपडे़ पहने हुए हो, उसे किसी भिखारी को भी दोगे, तो नहीं लेगा। हाथ जोड़कर यही कहेगा कि बाबूजी, भिखारी हूँ मगर इतना भी निर्लज्ज नहीं कि इतने फटे कपड़े दान में ले लूँ। खैर, अब तुम कहते हो तो मान लेते है कि यही फैशन है। अच्छा, तो यह बताओ , तुमने कहा था कि नए साल में कुछ करके दिखाऊँगा, क्या कर रहे हो इस बार? तुम बोल रहे थे, कुछ नया करूँगा। कुछ किया?''
युवक बोला, ''बिलकुल, नया ही करना है। देखिए, शुरुआत तो इस हुलिया से हो गई है। ये जो जींस देख रहे हैं न आप ? ब्रांडेड है, अंकल !! मॉल से खरीदी है. बहुत बड़ी कंपनी है। फलाने हीरो ने पहनी थी। ''
''मतलब जो तुम नया कुछ करने वाले थे, उसकी शुरुआत इस फटी जींस से हो रही है? वाह, नया साल और फटी जीन्स!! तुम तो धन्य हो। तुम होगे कामयाब एक दिन। ''
मेरी बात को सुनकर वह फिर उखड़ गया, ''ये क्या मज़ाक है अंकल, आप मेरी इस जींस को बार-बार फटी कह रहे हैं? अरे, यह ब्रांडेड जींस है। लेटेस्ट फैशन वाली। डू यू नो ब्रांडेड? पाँच हजार में खरीदी है और आप इसे फटी कहकर इसकी 'बेइज़्ज़ती खराब' करने पर तुले हैं? इसे फटी नहीं, फैशनेबल जींस कहते है ''
मैंने कहा, ''ओह, सॉरी भाई, माफ़ करो। यह कमाल की जींस है। अद्भुत है। हम धन्य भये इसके दर्शन करके ! तुम्हारे माता-पिता भी गर्व करते होंगे तुम पर कि कितना होनहार लड़का है। फटी पेंट पहनता है। सादगी से रहता है। अच्छा तो यह बताओ, क्या सोचा है। इस साल का एजेंडा क्या है?''
वह बोला, ''बॉलीबुड की हर फिल्म देखूँगा। आजकल अच्छी-अच्छी फिल्में बन रही है।''
''अच्छा-अच्छा, उससे कुछ ज्ञान मिलेगा तुमको ताकि अपने कैरियर के लिए कुछ करोगे ? कुछ फिल्मे होती होंगी ऐसी। ''
मेरी बात पर वह हँसकर बोला, ''ज्ञान-फ्यान के लिए नहीं अंकल, आजकल के लड़के और लड़कियाँ इंटरटेन के लिए फ़िल्में देखते हैं.. उससे हमें पता चलता है कि फैशन का लेटेस्ट ट्रेंड क्या चला रहा है। उस हिसाब से फिर हम अपने बाल को कभी खड़ा कर लेते हैं, कभी आड़ा, कभी तिरछा। कभी पीला, कभी
नीला, कभी हरा कर लेते हैं। फिर हीरो के
माफिक स्टाइल मारते हैं। उसी की तरह कपड़े सिलवाते
हैं। हीरो की माफिक ही चलते हैं, बोलते
है। मज़ा आता है। इस साल अब तो यही करना है
मुझे।''
''और पढाई- लिखाई ? कैरियर? सब गए तेल लेने? '' मेरे इस प्रश्न पर वह फिर हँसा और बोला, ''समय मिला, तो वो भी करेंगे न । इतनी जल्दी क्या है। कैरियर तो कल भी बन जाएगा; लेकिन फैशन जो आज है, वो कल नहीं रहेगा इसलिए उसके अनुसार विहेब ज़रूरी है। आप नहीं समझोगे मेरी बात। बिकॉज़ यू आर ए बैकवर्ड परसन!''
''मतलब नए साल में तुम केवल और केवल फैशन ही करोगे? और कुछ नहीं?''
''जी हाँ, यही सोचा है। फैशन ही मेरा पैशन है. ये कर लूँ, फिर कैरियर भी है । माँ कसम!''
इतना बोलकर युवक मुस्कराया, फिर घड़ी देख कर अचानक चौंका, ''ओह , चलूँ। मेरा तो टाइम हो रहा है। नई फिल्म लगी है। सुना है कि उसमे हीरो और हीरोइन ने भी जो जींस पहनी है, वो पीछे से पूरी फटी हुई है. देखना है पीछे से फटी पेंट में कितना ब्यूटीफुल लुक आता है। पेंट कैसी है, कितनी फटी है। इसका बारीक अध्ययन करके उसी की तरह की सिलवाऊँगा। वैसे मॉल में मिल ही जाएगी, तो खरीद लूँगा।''
"अच्छा, तो यह बताओ कि तुम पुरानी फटी जींस का करोगे क्या ?"
मेरे प्रश्न पर होनहार युवक ने कहा, " किसी ज़रूरतमंद भिखारी को दे दूँगा।"
मैंने कहा, "अगर भिखारी ने लेने से इंकार कर दिया, तो क्या करोगे? मैंने पहले ही कहा है कि भिखारी भी आजकल स्मार्ट हो गए है। वे फटी जींस को स्वीकार नहीं करते।"
इस बार युवक कुछ बोला नहीं। मुझे घूरकर देखने लगा। मैं घबरा गया। मैने कहा, "ओह सॉरी, माफ करना।" फिर होनहार युवक को शुभकामनाएँ दीं, मगर वो तो लिए बगैर ही आगे बढ़ गया।
वह हँसकर बोला, ''आपके दिमाग का निकल गया है। फैशन को समझ नहीं पाए और दिवाला पीट रहे हैं मेरा।''
मैंने कहा, '' भाई, मेरे तुम जैसे कपडे़ पहने हुए हो, उसे किसी भिखारी को भी दोगे, तो नहीं लेगा। हाथ जोड़कर यही कहेगा कि बाबूजी, भिखारी हूँ मगर इतना भी निर्लज्ज नहीं कि इतने फटे कपड़े दान में ले लूँ। खैर, अब तुम कहते हो तो मान लेते है कि यही फैशन है। अच्छा, तो यह बताओ , तुमने कहा था कि नए साल में कुछ करके दिखाऊँगा, क्या कर रहे हो इस बार? तुम बोल रहे थे, कुछ नया करूँगा। कुछ किया?''
युवक बोला, ''बिलकुल, नया ही करना है। देखिए, शुरुआत तो इस हुलिया से हो गई है। ये जो जींस देख रहे हैं न आप ? ब्रांडेड है, अंकल !! मॉल से खरीदी है. बहुत बड़ी कंपनी है। फलाने हीरो ने पहनी थी। ''
''मतलब जो तुम नया कुछ करने वाले थे, उसकी शुरुआत इस फटी जींस से हो रही है? वाह, नया साल और फटी जीन्स!! तुम तो धन्य हो। तुम होगे कामयाब एक दिन। ''
मेरी बात को सुनकर वह फिर उखड़ गया, ''ये क्या मज़ाक है अंकल, आप मेरी इस जींस को बार-बार फटी कह रहे हैं? अरे, यह ब्रांडेड जींस है। लेटेस्ट फैशन वाली। डू यू नो ब्रांडेड? पाँच हजार में खरीदी है और आप इसे फटी कहकर इसकी 'बेइज़्ज़ती खराब' करने पर तुले हैं? इसे फटी नहीं, फैशनेबल जींस कहते है ''
मैंने कहा, ''ओह, सॉरी भाई, माफ़ करो। यह कमाल की जींस है। अद्भुत है। हम धन्य भये इसके दर्शन करके ! तुम्हारे माता-पिता भी गर्व करते होंगे तुम पर कि कितना होनहार लड़का है। फटी पेंट पहनता है। सादगी से रहता है। अच्छा तो यह बताओ, क्या सोचा है। इस साल का एजेंडा क्या है?''
वह बोला, ''बॉलीबुड की हर फिल्म देखूँगा। आजकल अच्छी-अच्छी फिल्में बन रही है।''
''अच्छा-अच्छा, उससे कुछ ज्ञान मिलेगा तुमको ताकि अपने कैरियर के लिए कुछ करोगे ? कुछ फिल्मे होती होंगी ऐसी। ''
मेरी बात पर वह हँसकर बोला, ''ज्ञान-फ्यान के लिए नहीं अंकल, आजकल के लड़के और लड़कियाँ इंटरटेन के लिए फ़िल्में देखते हैं.. उससे हमें पता चलता है कि फैशन का लेटेस्ट ट्रेंड क्या चला रहा है। उस हिसाब से फिर हम अपने बाल को कभी खड़ा कर लेते हैं, कभी आड़ा, कभी तिरछा। कभी पीला, कभी
''और पढाई- लिखाई ? कैरियर? सब गए तेल लेने? '' मेरे इस प्रश्न पर वह फिर हँसा और बोला, ''समय मिला, तो वो भी करेंगे न । इतनी जल्दी क्या है। कैरियर तो कल भी बन जाएगा; लेकिन फैशन जो आज है, वो कल नहीं रहेगा इसलिए उसके अनुसार विहेब ज़रूरी है। आप नहीं समझोगे मेरी बात। बिकॉज़ यू आर ए बैकवर्ड परसन!''
''मतलब नए साल में तुम केवल और केवल फैशन ही करोगे? और कुछ नहीं?''
''जी हाँ, यही सोचा है। फैशन ही मेरा पैशन है. ये कर लूँ, फिर कैरियर भी है । माँ कसम!''
इतना बोलकर युवक मुस्कराया, फिर घड़ी देख कर अचानक चौंका, ''ओह , चलूँ। मेरा तो टाइम हो रहा है। नई फिल्म लगी है। सुना है कि उसमे हीरो और हीरोइन ने भी जो जींस पहनी है, वो पीछे से पूरी फटी हुई है. देखना है पीछे से फटी पेंट में कितना ब्यूटीफुल लुक आता है। पेंट कैसी है, कितनी फटी है। इसका बारीक अध्ययन करके उसी की तरह की सिलवाऊँगा। वैसे मॉल में मिल ही जाएगी, तो खरीद लूँगा।''
"अच्छा, तो यह बताओ कि तुम पुरानी फटी जींस का करोगे क्या ?"
मेरे प्रश्न पर होनहार युवक ने कहा, " किसी ज़रूरतमंद भिखारी को दे दूँगा।"
मैंने कहा, "अगर भिखारी ने लेने से इंकार कर दिया, तो क्या करोगे? मैंने पहले ही कहा है कि भिखारी भी आजकल स्मार्ट हो गए है। वे फटी जींस को स्वीकार नहीं करते।"
इस बार युवक कुछ बोला नहीं। मुझे घूरकर देखने लगा। मैं घबरा गया। मैने कहा, "ओह सॉरी, माफ करना।" फिर होनहार युवक को शुभकामनाएँ दीं, मगर वो तो लिए बगैर ही आगे बढ़ गया।
email- girishpankaj1@gmail.com
No comments:
Post a Comment