सूरज
-सारिका भूषण
वह उगता है
गहराए अम्बर को
प्रकाशित कर
वह निकलता है
सारे अवसादों को
पीछे छोड़कर
वह चमकाता है
जीवन के खुरदुरे पलों को
रश्मियों से तराशकर
वह समझाता है
अथक पहिए की
गति को सँभालकर
वह बताता है
हमारे डूबते भावों की
कड़वाहट को निकालकर
वह सूरज है !
वह जीवन है !
वह साँसें देता है…..
छटपटाती सकारात्मकता को थामकर !!
सम्पर्कः C / 258 , रोड - 1C, अशोक नगर , रांची - 834002 , झारखंड
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