1.
बस एक ही ठिकाना
- सीमा जैन
पर्वतों
की चोटी,
सागर
की तलहटी,
कई
जगह थी रहने की,
छुपकर
शांति से जीने की।
ईश्वर
जानते थे,
सब
देवों को समझते थे,
मैं
कही भी जाऊँ,
इन्साँ
मुझे खोज ही लेगा।
मुझे
चैन से नहीं रहने देगा,
बस
एक ही ठिकाना है,
जहाँ
उसे नहीं आना है,
वह
उसका अपना अन्तस् है।
जो
बुराइयों को छोड़ते जाते,
मैं
चमकने लगता हूँ,
सिर्फ
उनको ही मिल पाता हूँ।
बहुत
कम मुझसे मिल पाते हैं,
बाहर
दौड़ते,
सबको
रौंदते,
भटकते
हैं।
मैं
सबके पास,
पर
कुछ,
मुझ
तक पहुँचतें हैं।
-0-
2.
तेरे वास्ते
सूरज
से आशा,
चाँद
से भाषा,
शब्दों
की माला,
है
तेरे वास्ते।
तारों
की चादर,
लहरों
की पायल,
जुगनू
ने रास्ते,
बनाए
तेरे वास्ते।
रातों
में दिए,
हाथों
में लिए,
अँधेरे
चीर दूँ,
मैं
तेरे वास्ते।
प्यार
का पल,
आज
और कल,
दिल
का सुकून,
बनूँ
तेरे वास्ते।
तेरी
आँखों में,
तेरी
यादों में,
मेरा
छोटा-सा घर,
तेरे
दिल के रास्ते।
साँसों
की डोर,
दुआओं
के छोर,
कभी
न खाली,
हों
तेरे वास्ते।
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