जीवन को बेहतर बनाने वाली कुछ बातें
खुद को ही एक चपत लगाइए
स्मोकिंग मत कीजिए।
स्मोकिंग करना ही चाहते हों ,तो कहीं से ढेर सारे कैंसरकारक पदार्थ
जुटाकर उन्हें चिलम में भरकर उनका धुँआ अपने फेफड़ों में खींच लीजिए और बची हुई
राख को चाय-कॉफ़ी में घोलकर पी जाइए।
मैं
मजाक कर रहा था।
कुछ मत
कीजिए।
हो सके
तो खाद्य पदार्थों को उस रूप में ग्रहण करने का प्रयास करें, जिस रूप में वे
प्रकृति में उत्पन्न होते हैं।
पेड़
में डाल से लगा कोई सेब या संतरा वैसा ही दिखता है ,जैसा फलों की दुकान में मिलने
वाला सेब या संतरा होता है।
फ़्लेवर
और प्रिज़रवेटिव वाला दूध-दही मत लीजिए। प्राकृतिक रूप में मिलने या बनने वाला
दूध-दही उपयोग में लीजिए।
आलू और
भुट्टे के चिप्स दिखने में प्राकृतिक नहीं लगते। उन्हें मत खाइए। ऐसी कोई चीज मत
खाइए, जो नाइट्रोजन भरे हुए उस पॉलीपैक में मिलती है ,जो
भीतर से चांदी जैसा दिखता है। यह सब खान-पान बस स्वाद का मजा देगा, लेकिन सेहत बिगाड़ेगा।
एक्सरसाइज़, व्यायाम और योग
वगैरह महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ हैं ,लेकिन इन्हें पागलों की
तरह करने में कोई तुक नहीं है। मैं ऐसे बहुत से वयोवृद्ध स्वस्थ व्यक्तियों को
जानता हूँ जो कभी जिम में नहीं गए;
लेकिन वे खूब चलते-फिरते थे। अपनी जवानी में वे बाज़ार
से झोले भर-भर कर सामान लाते थे। घर से थोड़ा दूर किसी काम से पैदल चलकर जाने में
उन्होंने कभी आलस नहीं किया।
लेकिन
मैंने ऐसे भी कई लोग देखे जिन्होंने कभी कोई एक्सरसाइज़ नहीं की। उनके अंतिम दिन
बड़े बुरे बीते।
अपना
वजन कम रखिए लेकिन इसे लेकर कोई तनाव नहीं पालिए। यदि आपका वजन वांछित से 50 किलो अधिक है तो
मानकर चलिए कि यह आपके लंबे जीवन की कामना के आड़े आएगा। इतना अधिक वजन आपको
डायबिटीज़, हृदय रोग, कैंसर की चपेट में
ले सकता है।
अधिक वज़न
का मतलब है बुरी खबर। वांछित से 5 या 10 किलो अधिक वज़न
भी इनके खतरों को थोड़ा बढ़ा देता है। आपका वजन अपनी ऊँचाई के अनुपात में होना
चाहिए।
लेकिन
यदि 10 किलो अतिरिक्त वज़न घटाने के प्रयासों से आपको तनाव हो रहा हो ,तो बेहतर है कि आप मोटे ही बने रहें। तनाव भी आपके लिए बुरी खबर है। असल
में आपको अपने प्रति ईमानदार बने रहना है। यदि बात अतिरिक्त 5 या 10 किलो वजन की ही है ,तो
टेंशनमत लीजिए। लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे वे बदलाव करें ,जो
आप बिना किसी टेंशन के झेल सकते हों।
तनाव की
बात से याद आया- तनाव कम करें। ये बहुत कठिन काम है। मेरे लिए भी बहुत कठिन है।
मैं बहुत काम करता हूँ। घर का भी, दफ़्तर का भी, बाहर
का भी। घर है, पत्नी है, बच्चे हैं,
दो-दो गाडिय़ाँ हैं, ब्लॉग है, बॉस है। खुद को डी-स्ट्रेस करना बहुत कठिन है। लेकिन आप चाहें तो कर सकते
हैं।
ध्यान
करें, योग करें, गाना गाएँ, कोई
वाद्ययंत्र बजाना सीखें, पहाड़ी चढ़ें, घास पर लुढक़ें। जिसमें आपको आनंद आए वह काम करें। किसी हीरोइन से भी दिल
लगा लें, लेकिन हेरोइन से दूर रहें।
दिल
लगाने से याद आया- किसी से प्यार करें।
डूबकर प्यार करें। आँकड़े बताते हैं कि किसी से प्यार करने वाले और हैप्पिलीमैरिड
लोग अकेले रहने वालों की तुलना में अधिक जीते हैं और अधिक स्वस्थ होते हैं।
जब आपको
लगे कि आपके मन में कोई नकारात्मक विचार आ रहा हो , तो कुछ भी ऐसा करें जिससे वह
रुक जाए। खुद को ही एक चपत लगाइए। कोई पॉज़िटिव बात इतनी जोर से चिल्लाकर कहें कि
आसपास के लोग अच्छे से सुन सकें। पॉज़िटिवमाइंडसेट में वापस आने के लिए जो कर सकते
हों करें।
जो कुछ
भी आप करते हों उसपर मनन करते रहें लेकिन सोच-विचार में अति भी न करें।
बड़े-बड़े मोटिवेशनल गुरु की बातों में आकर अपने जीवन को सरल-सहज करने पर पिल न
पड़ें;लेकिन अपनी ज़रूरतें कम रखें। हजार मील की यात्रा भी एक
कदम रखने से शुरु होती है। अपने जीवन में बड़े बदलाव करने के लिए हड़बड़ी न करें।
ज़िन्दगी
में सब कुछ जुटा लेने की होड़ में न पड़ें। मोह में न पड़ें। खुद को निर्लिप्त
बनाने का प्रयास करें। कठिन है। इसे समझाने के लिए एक दूसरी ही पोस्ट लिखनी
पड़ेगी। गीता पढ़ें। कुछ-कुछ समझ में आ जाएगा।अ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRJdh8QtJ55y7G_t1cMKAbHuEXQ0GhZvIZyZYyIZrmX9Nft-XxtboIQDsMj2pJmPsMxeRIcSciCn42IPuI9XQ_PS3-OtUV0B99VM2MbGV-Ra5n_ISCxMB_uS-MD_9Dw1LmPrOCuS2YVzM/s200/love-can-hurt-edt.jpg)
छोटी-छोटी
अनूठी नित-नवेली बातों को रस लेकर घटित होते देखें। नई चीजें ट्राइ करते रहें।
खतरे मोल न लें लेकिन कभी-कभार अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें।
बीती
ताहि बिसार दें। आगे की सुध लें।
आप अतीत
को नहीं बदल सकते। इसके बारे में तभी सोचें जब इससे कोई सबक मिलता हो। आपका
वर्तमान ही आपके भविष्य का सृजन करेगा। वह काम करें जो आपको अच्छाई की ओर ले जाए, आपके जीवन को बेहतर
दिशा दे।
इस क्षण
में जिएँ। (हिन्दी ज़ेन से)
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