
हिन्दी बहूरानी
- सत्या शर्मा ' कीर्ति '
गुजरे हुए सालों को हम देखें ,तो आज का दौर हिन्दी के स्वर्णकाल का दौर कहा जा सकता है।
हमारी हिन्दी आज सिर्फ देश
की ही भाषा नहीं रही;बल्कि पूरी दुनिया में फैल चुकी है।
एक
सर्वे के आधार पर हम गर्व कर सकते हैं कि आज हिन्दी एक ऐसी भाषा है
,जो दुनिया में सर्वाधिक बोली जाती है,जिसकी लोकप्रियता भारत के
अलावा तमाम पड़ोसी देशों में है।
हिन्दी के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि यह बिना किसी सत्ता के सरंक्षण के जनभाषा के रूप में आगे बढ़ रही है।
आज
वैश्वीकरण का दौर है,अर्थात् सीधे - सीधे बाजारबाद ।
अब हर संस्कृति , हर विचार एक उत्पादन में तब्दील
हो बाजार में बिकने को तैयार हैं। जाहिर है बेचने के लिए उस
भाषा की जरूरत होती है, जो आम भाषा हो।
आज
हिन्दुस्तान बहुत बड़ा बाजार है , अतः हिन्दी अपनी पैठ बना रही है ।इसकी
लोकप्रियता का अनुमान इस तरह भी लगाया जा सकता है
कि आज दुनिया भर के विश्व विद्यालयों में हिन्दी पढाई जा रही है।इसके लिए हमारे हिन्दी सिनेमा के योगदान को भुलाया
नहीं जा सकता ,जो विश्वपटल पर अपनी साख बना रहा है।
इंटरनेट
ने भी आज क्रांति -सी ला दी है। अब अनेक लेखक , पाठक और हिन्दी प्रेमी बेहिचक अपनी बातों का
आदान-प्रदान कर रहे हैं।
ब्लॉग
और वेवसाइट हिन्दी की नयी कहानी लिख रहे हैं। आज हिन्दी के ग्राहकों की संख्या बढ़ी
है अधिकतर लोगों की रोज़ी -रोटी की भाषा बन चुकी
है।
मैं
तो इतना ही कहूँगी कि मैं हिन्दी को माँ जैसा ही प्यार करती हूँ।
हिन्दी में सोचती हूँ , हिन्दी में बात करती हूँ हिन्दी में गुनगुनाती हूँ ।
हिन्दी पर गर्व करती हूँ।
अंत
में हिन्दी के साधक और कर्मयोगी कॉमिक बुल्के का
कथन- ‘संस्कृत हमारी
महारानी है, हिन्दी बहूरानी।’
सम्पर्क डी-2, द्वितीय तल, महाराणा अपार्टमेण्ट, पी पी कम्पाउण्ड, राँची-834001( झारखण्ड), मो- 8083986263
1 comment:
सुंदर सार्थक लेख प्रिय सखी
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