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Mar 15, 2016

मन राधा का लाल

मन राधा का लाल
 - मंजूषा 'मन

1
राधा कहतीं कृष्ण से, तिलक लगा लो भाल।
कृष्ण मगर जिद पे अड़े, लाल करेंगे गाल।।
2
कान्हा तुमने आज ये, कैसा मला गुलाल।
तन से ज्यादा क्यों हुआ, मन राधा का लाल।।
3
राधा कान्हाहो रँगी, कृष्ण राधिका रंग।
प्रेम रंग में हैं रँगे, नीले पीले अंग।
4
फ़ीके- फ़ीके लग रहे, होली के सब रंग।
महँगाई की मार से, हाथ हुआ है तंग।।
5
अब तो बच पाते नहीं, जलने से प्रह्लाद।
झूठों के इस दौर में, कौन रखे सच याद।।
6
सच की माला थी जपी, आया ही क्या हाथ।
कलयुग में देते नहीं, ईश्वर सच का साथ।।

सम्पर्क: Ambuja Cement Foundation
Village post- Rawan,Dist- BalodaBazar,Chhattisgarh-Pin -493331

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