निदा फ़ाज़ली के 5 दोहे
1
बच्चा बोला देखकर , मस्ज़िद
आलीशान !
अल्ला तेरे एक को , इतना बड़ा
मकान ॥
2
मैं रोया परदेस में, भीगा माँ
का प्यार ।
दुख ने दुख से बात की, बिन
चिट्ठी बिन तार ॥
3
' सीधा-सादा डाकिया, जादू करे
महान ।
एक ही थैले में भरे, आँसू और
मुस्कान ॥
4
रस्ते को भी दोष दे, आँखें भी
कर लाल ।
चप्पल में जो कील है, पहले उसे
निकाल ॥
5
जीवन के दिन रैन का, कैसे लगे
हिसाब ।
दीमक के घर बैठकर, लेखक लिखे
क़िताब ॥
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