ऊँचे शिखरों पर रोमांच का सफर
- लोकेन्द्र सिंह
- लोकेन्द्र सिंह
कठिनाइयाँ आपको अंदर से मजबूत करती
हैं। अचानक से आई मुसीबतें आपको फटाफट निर्णय लेने का अनुभव देती हैं। अनजाने
रास्ते और लंबे सफर आपके लिए नई राहें खोलते हैं। यह सब करने के लिए बस थोड़े-से
साहस की जरूरत होती है। उठाइए साइकिल और
निकल जाइए ऐसे रास्तों पर जहाँ जाने के लिए आपका जी मचल रहा हो। जिंदगी को ठाट से
जीने के लिए साइकिलिंग से अच्छा विकल्प नहीं है। यह कहना है रोमांच के साथी युवा
देवेन्द्र तिवारी का। मध्यप्रदेश के जिले ग्वालियर में कृषक परिवार में जन्मे
देवेन्द्र तिवारी देश के कई दुर्गम क्षेत्रों को साइकिलिंग से जीत चुके हैं।
अपनी पहली कठिन यात्रा का जिक्र करते
हुए वे कहते हैं कि अचानक एक दिन बैठे-बैठे मेरे दिल में खयाल आया कि क्यों न
हिमालय की चोटियों और घाटियों को अपनी साइकिल के पहिए से नापा जाए। कुल्लू मनाली
क्षेत्र के 13,000 फीट से अधिक ऊँचे चँद्रखानी पास ट्रैक चला जाए। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर
और उत्तराखंड ऐसे प्रदेश हैं जिनका जर्रा-जर्रा खूबसूरत और आकर्षक है। हर कोई
बार-बार और हमेशा के लिए इन्हें अपने ज़ेहन में स्पंदित करने की चाह रखता है।
अविवाहित श्री तिवारी चुटकी लेते हुए बताते हैं कि मनाली को उत्तर भारत का हनीमून
कैपिटल भी कहते हैं। विवाह के बाद वे अपनी पत्नी के साथ जरूर इस खूबसूरत वादी में
आना चाहेंगे, बल्कि
बार-बार आते रहेंगे।
व्यास नदी के तट पर बसा यह शहर हमेशा
पर्यटकों से गुलजार रहता है। कुल्लू की दो चीज काफी मशहूर हैं- ऊनी शाल और दशहरा
पर्व। मनाली एडवेंचर में रुचि रखने वालों को भी अपनी ओर खींचता है। इसी चुंबकीय
आकर्षण में आकर 13 हजार फीट से अधिक ऊँचे ट्रैक चँद्रखानी पास को फतह करने की मन
में ठान ली। तब मेरे पास उम्दा माउंटेन साइकिल उपलब्ध नहीं थी। एक एडवेंचर क्लब से
जुड़े होने पर मुझे किराए पर वह साइकिल उपलब्ध हो गई। जरूरी तैयारी के साथ मैं
निकल पड़ा अपनी पहले कठिन सफर पर। मनाली से शुरू होने वाला चँद्रखानी पास ट्रैक
मलाना और मणिकर्ण होते हुए बिजली महादेव तक जाता है। चँद्रखानी पास को
देवी-देवताओं के मिलन की जगह भी कहा जाता है। समतल सड़कों पर साइकिलिंग के बजाय
पहली बार ऊँचे शिखर पर साइकिल चलाने का रोमांच ही अलग था। मानो सातवाँ आसमान छू
लिया हो। इस पहली जीत से इस यात्रा को और अधिक रोमांचकारी बनाने का साहस मन में
पैदा हुआ। इस बार हाड़ कँपाने वाली सर्दी में हिमालच प्रदेश के बर्फीले पर्वतीय
शृंखला धौलाधार में कुछ तूफानी करने का तय किया। यहाँ तो ऐसा लगा जैसे स्वप्नों
में देखा स्वर्ग साकार उपस्थित हो गया हो। धौलाधार पर्वत रेंज कांगड़ा जिले का
सबसे आकर्षक पर्यटन और साहसिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे 12 माह दूधिया बर्फ
से ढका हुआ देखा जा सकता है। हनुमान का टिंबा या सफेद पर्वत इस पर्वत शृंखला की
सबसे ऊंची चोटी है। धौलाधार की समुद्र तल से ऊंचाई 3500 से 6,000 मीटर तक है। छोटा
हिमालय के नाम से ख्यात धौलाधार पर्वत शृंखला डलहौजी के पास से शुरू होती है। इसके
बाद साहसिक खेलों में रुचि रखने वाले युवा देवेन्द्र तिवारी ने कभी पीछे पलटकर
नहीं देखा। जैसे ऊँचे पहाड़ उन्हें आवाज देकर बुलाते हों, वे
बार-बार उनके बुलावे पर जाते रहे। छोटा सियाचिन (14,200 फीट), रोहतांग
पास (13,051 फीट),
बड़ा-लाचा-ला-दर्रा (16,040 फीट), नकीला पास
(15,547 फीट) और दुनिया के दूसरे सबसे ऊँचे चलने योग्य मार्ग तग-लांग-ला दर्रा
(17,500 फीट) पर भी ग्वालियर के देवेन्द्र तिवारी ने भारत का झंडा फहराया।
मध्यप्रदेश में साइकिलिंग और साहसिक
गतिविधियों में अपना योगदान देने के लिए देवेन्द्र तोमर का सरकार और सामाजिक
संस्थाओं ने सम्मान भी किया है। कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज और केन्द्रीय
मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें साहसिक गतिविधि के लिए सम्मान दिया है।
हाल ही में उन्हें वन्देमातरम् राष्ट्रीय अलंकरण से नवाजा गया।
देवेन्द्र तिवारी कहते हैं कि दुनिया
को साइकिल के पहिए से नापने की उनकी अदम्य इच्छा है। वे साइकिल से विश्व यात्रा पर
निकलकर बेटी बचाओ का संदेश देना चाहते हैं। साथ ही वे पर्यावरण के प्रति भी दुनिया
को सचेत करना चाहते हैं। उनका मानना है कि व्यक्ति को दैनिक जीवन में फिर से
साइकिल को अपना लेना चाहिए। इसके कई फायदे हैं- शरीर चुस्त रहेगा, ईधन का
संकट कम होगा और महँगाई की मार से भी बचा जा सकेगा। ट्रैकिग पर जाने वाले साथियों
को वे सलाह देते हैं कि ट्रैकिंग के लिए जगह और मार्ग चुनने से पहले अपनी रुचि और
क्षमताओं को परखना जरूरी है। अगर आपको ऊँचाई पर चढऩे में तकलीफ है तो समतल मैदान
ही चुनें। यदि ऊँचाई आपको आनंदित करती है और आप लम्बे समय तक पहाड़ों में भटकने का
माद्दा रखते हैं तो जरूर लम्बे रास्ते, ऊँची जगह चुनें और ऊँचे शिखरों पर जीवन को रोमांच के साथ जिएँ।
संपर्क: गली नंबर-1 किरार कालोनी, एस.ए.एफ.
रोड,
कम्पू, लश्कर, ग्वालियर (म.प्र.) 474001, मो.
9893072930
Email- lokendra777@gmail.com
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