- डॉ. किशोर पँवार
पेड़-पौधे पर्यावरण के अभिन्न अंग
हैं। इनसे हमारा नाता बहुत पुराना है। उनके फल खाए, फूलों से अपना शृंगार किया, लकड़ी से
मकान बनाया, चूल्हा
जलाया। और तो और,
पेड़ तले तपस्या की, बुद्ध हुए।
पेड़ तरह-तरह के जीव जन्तुओं का बसेरा हैं। पेड़ एक बड़ा परिवार है जिसके
सदस्य कई प्रजातियों के होते हैं, फिर भी रहते साथ-साथ हैं।
वृक्ष हमें खेती करने के औज़ार भी देते
हैं और ऑक्सीजन भी। पेड़ों के इन्हीं सब उपकारों के चलते कल्पवृक्ष की कल्पना की
गई होगी। इन्हीं के चलते पेड़ों को पूजा जाता है। भारतीय संस्कृति में पेड़ों में
देवताओं का वास माना गया है। पर आज उनका बचना मुश्किल हो गया है।
पेड़ हमें ठंडी छाया भी देते हैं।
नीम, पीपल, गूलर, गुलमोहर, शिरीष आदि
की घनी छाया के क्या कहने। मई-जून के महीनों में डामर या सीमेंट की सड़कों के
किनारे तपती दोपहर में मनुष्य तो मनुष्य, पशु भी छाया ढूँढ़ते नज़र आते हैं। इसी बात
को ध्यान में रखकर लम्बी-लम्बी सड़कों के किनारे-किनारे मीलों तक घने छायादार पेड़
लगवाए जाते हैं। याद कीजिए शेरशाह सूरी द्वारा बनवाई गई 2500 मील लंबी
ग्रांट ट्रंक रोड। इसके दोनों किनारों पर उन्होंने छायादार वृक्ष लगवाए थे। कहते
हैं सम्राट अशोक ने भी अपने शासन काल में आम, इमली, पीपल जैसे छायादार वृक्ष लगवाए थे।
पेड़ हमें केवल अपनी छाया ही नहीं
देते बल्कि अपने आस-पास का पर्यावरण भी सुधारते हैं। वे अपने चारों ओर की हवा को
ठंडा रखते हैं। साथ ही ज़हरीली गैसों के प्रदूषण का पान करके वायुमंडल को लगातार
साफ करते रहते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड तो उनके भोजन का हिस्सा है ही। इसके अतिरिक्त
वे हवा में उपस्थित नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, क्लोरीन व
अमोनिया को भी अपने शरीर में जमा करते रहते हैं।
दुनिया भर में पेड़ों की इस महत्त्वपूर्ण
भूमिका अर्थात् स्थानीय स्तर पर वातावरण परिवर्तन को लेकर बहुत काम हुआ है।
स्थानीय स्तर पर होने वाले ये परिवर्तन सूक्ष्म जलवायु चुनौतियाँ कहलाते हैं। किसी
बाग-बगीचे, शहर
या गाँव की जलवायु को वहाँ की सूक्ष्म जलवायु कहते हैं। एक पेड़ के नीचे और उसके
आस-पास की जलवायु को पेड़ की सूक्ष्म जलवायु
कहा जाता है। वहाँ का ताप, नमी, प्रकाश की मात्रा एवं हवा के बहने की दर
पेड़ से बहुत दूर वाले स्थान से अलग होती है। पेड़ का उसके आस-पास पडऩे वाला यह
असर ही उसकी सूक्ष्म जलवायु तय करता है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOXNmEs89U-iiBNtprRcKCNtOyFN6HJM2BgyPuZ_vndu3z67nIY93a3oauv5-GmChFLEW_XjfvGecH1wMFVhALoH_f1kM5NUjA-T0wmH3oFb_3rKv5S49-ZDOPAKveQXeNs7aRhaYPUvo/s200/gular.jpg)
खुले में बने घर की तुलना में पेड़ों
की छाया तले बना घर प्राकृतिक वातानुकूलन कर प्रति वर्ष लगभग 25 प्रतिशत
ऊर्जा की बचत करता है। ब्राउन और कोजेल के अनुसार पेड़ों का यह गुण उनके आकार, ऊँचाई, पत्तियों
के घनत्व, शाखाओं
की संख्या और पत्तियों के विभिन्न गुणों पर निर्भर होता है। स्थान विशेष की
सूक्ष्म जलवायु के नियंत्रण के लिहाज़ से पतझड़ी वृक्षों की तुलना में सदाबहार
वृक्ष ज़्यादा उपयोगी पाए गए हैं। साल भर उन पर लगी पत्तियों से विकिरण ऊर्जा का
नियंत्रण और धूप की गर्मी का घटना साल भर चलता रहता है जबकि पतझड़ी वृक्ष पतझड़ के
बाद ऐसा नहीं कर पाते। इस तरह समान आकार के नीम और पीपल की तुलना में बरगद, गूलर और मौलश्री
के पेड़ ज़्यादा उपयोगी हैं।
पेड़ों की छाया सिर्फ अपने आस-पास की
हवा को ही ठंडा नहीं रखती। इस छाया के चलते धूप की चमक और गर्मी धरातल पर नहीं पहुँचती।
इस तरह वृक्षों के कारण आस-पास के भवन व सड़क आदि भी खुले स्थानों वाले घरों की तुलना
में अपेक्षाकृत कम गर्म होते है। 1988 में अर्धशहरी क्षेत्र में किया गया एक
अध्ययन बताता है कि जहाँ वृक्ष ज़्यादा होते हैं वहाँ दिन का तापमान वृक्षविहीन
स्थानों की अपेक्षा 1.7 से 3.3 डिग्री सेल्सियस तक कम होता है। फ्लोरिडा
में बड़े पेड़ों के कारण तापमान 3.6 डिग्री सेल्सियस तक कम पाया गया।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgYMKNluVsG8W0wmaohB0zf9cDZIrcXvO7bXSl-QqnPYxD0CmvOEBw_A3yGDOOrNKBCRx9R2nkuVC4lrHDMOyZfGjKmOsTH5b8a9AS4rQ4uGN83nZ_a_wR4x4HGWG4XCYw_vjauGlORku8/s200/Kalpavriksha.jpg)
स्थानीय जलवायु में पेड़ों की इस
भूमिका को लेकर देश में अध्ययन कम ही हुए हैं। इंदौर के होल्कर कॉलेज के परिसर में
लगे विभिन्न प्रजातियों के पेड़ों की हवा को ठंडी करने की क्षमता का तुलनात्मक
अध्ययन शुरू किया गया है। शुरुआती नतीजे उत्साहवर्धक हैं। नीम और यूकेलिप्टस की
तुलना में बरगद ज़्यादा प्रभावी पाया गया है। एक पेड़ अपने आस-पास कितनी दूरी तक
हवा को ठंडी कर पाता है ऐसा अध्ययन जारी है। एक बात तो तय है -पेड़ लगाना बिना
ऊर्जा खर्च किए ठंडी हवा पाने का एक बढिय़ा तरीका है। अत: प्राकृतिक एअरकंडीशनिंग
के लिए ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाएँ। इससे पक्षियों को बसेरा एवं खाने को फल
मिलेंगे और हमें स्वच्छ ठंडी हवा। (स्रोत फीचर्स)
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