
प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, पत्ते-पत्ते
में शिक्षापूर्ण पाठ है, परंतु उससे लाभ उठाने के लिए अनुभव आवश्यक है। - हरिऔध
अनकही: निदान खोजना ही होगा... - डॉ. रत्ना वर्माआपके पत्र/ मेल बॉक्स
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