अंजलि जोसेफ को 'बेट्टी ट्रास्क' अवार्ड
मुंबई में जन्मी लेखिका अंजलि जोसेफ को 'बेट्टी ट्रास्क' अवार्ड से नवाजा गया है। उन्हें उनकी रचना 'सरस्वती पार्क' को लेकर इस पुरस्कार से नवाजा गया है। पुरस्कार की राशि 10,000 पाउंड है। अंजलि की कहानी सरस्वती पार्क मुंबई उपनगरीय इलाके के एक आवासीय परिसर की कहानी है। गौरतलब है कि यह पुरस्कार राट्रमंडल के किसी सदस्य देश के 35 साल से कम उम्र के लेखक को उनकी पहली रचना के लिए दिया जाता है।
डेमी मूर ने बनाई वृत्तचित्र फिल्म
डेमी मूर ने नेपाल में होने वाली मानव तस्करी को लेकर जागरूकता के लिए इस देश पर एक वृत्तचित्र फिल्म बनाई है। गुलामी और मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाले मूर ने इसे रोकने के लिए अपने पति एश्टन कचर के साथ 'डेमी एंड एश्टन (डीएनए) फाउंडेशन' बनाया है। मूर ने वृत्तचित्र फिल्म के लिए पिछले साल 'सीएनएन हीरो ऑफ द ईयर' अनुराधा कोइराला से मुलाकात की थी। उन्होंने कोइराला से चर्चा कर पूछा था कि वह उन महिलाओं की किस तरह मदद कर सकती हैं जिन पर वेश्यावृत्ति के लिए दबाव बनाया जाता है। वृत्तचित्र को 'नेपाल्स स्टोलन चिल्ड्रन' नाम दिया गया है। सीएनएन की 'फ्रीडम' परियोजना के तहत मूर ने तस्करी की शिकार अनेक महिलाओं से मुलाकात की थी।
ग्रामीणों ने पहाड़ काटकर बनाई 10 किमी. लंबी सड़क
सासाराम (बिहार) के रोहतास जिले के लोगों ने रोहतासगढ़ किले तक जाने के लिए खुद ही पहाड़ काटकर 10 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर लोगों के सामने एक मिसाल पेश किया है।
मुख्यालय से रोहतास किले की दूरी करीब 50 किलोमीटर थी। इस सड़क के बन जाने से अब किले की दूरी मात्र 20 किलोमीटर रह गई और अब वहां मोटरगाड़ी तक आराम से पहुंच जाती है।
कभी डकैतों और फिर नक्सलियों का आरामगाह माने जाने वाले कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतास किले तक जाने के लिए कोई सड़क न होने से लोगों का यहां आवागमन करीब- करीब बंद ही हो गया था।
डेमी मूर ने बनाई वृत्तचित्र फिल्म
डेमी मूर ने नेपाल में होने वाली मानव तस्करी को लेकर जागरूकता के लिए इस देश पर एक वृत्तचित्र फिल्म बनाई है। गुलामी और मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाले मूर ने इसे रोकने के लिए अपने पति एश्टन कचर के साथ 'डेमी एंड एश्टन (डीएनए) फाउंडेशन' बनाया है। मूर ने वृत्तचित्र फिल्म के लिए पिछले साल 'सीएनएन हीरो ऑफ द ईयर' अनुराधा कोइराला से मुलाकात की थी। उन्होंने कोइराला से चर्चा कर पूछा था कि वह उन महिलाओं की किस तरह मदद कर सकती हैं जिन पर वेश्यावृत्ति के लिए दबाव बनाया जाता है। वृत्तचित्र को 'नेपाल्स स्टोलन चिल्ड्रन' नाम दिया गया है। सीएनएन की 'फ्रीडम' परियोजना के तहत मूर ने तस्करी की शिकार अनेक महिलाओं से मुलाकात की थी।
ग्रामीणों ने पहाड़ काटकर बनाई 10 किमी. लंबी सड़क
सासाराम (बिहार) के रोहतास जिले के लोगों ने रोहतासगढ़ किले तक जाने के लिए खुद ही पहाड़ काटकर 10 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर लोगों के सामने एक मिसाल पेश किया है।
मुख्यालय से रोहतास किले की दूरी करीब 50 किलोमीटर थी। इस सड़क के बन जाने से अब किले की दूरी मात्र 20 किलोमीटर रह गई और अब वहां मोटरगाड़ी तक आराम से पहुंच जाती है।
कभी डकैतों और फिर नक्सलियों का आरामगाह माने जाने वाले कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतास किले तक जाने के लिए कोई सड़क न होने से लोगों का यहां आवागमन करीब- करीब बंद ही हो गया था।
No comments:
Post a Comment