वैज्ञानिकों ने कैलिफोर्निया की झील में एक ऐसा बैक्टीरिया ढूंढ निकाला है जो जहरीले आर्सेनिक में भी जिंदा रह सकता है। ये बैक्टीरिया पृथ्वी और इससे बाहर जीवन के अस्तित्व और विकास के रहस्यों को सुलझाने में मददगार होगा।
पहली बार कोई ऐसा बैक्टीरिया मिला है जो जीवन के लिए जहरीले आर्सेनिक को डीएनए समेत सभी जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में फॉस्फोरस की जगह इस्तेमाल करता है। अभी तक जितने भी प्राणियों का पता चला है वो सभी जीवन के लिए छह मूल तत्वों का ही इस्तेमाल करते हैं। नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन, सल्फर और फॉस्फोरस।
ये नया बैक्टीरिया खारापन पसंद करता है और प्रयोगशाला जैसी परिस्थितियों में फॉस्फोरस की पूरी तरह से गैरमौजूदगी में आर्सेनिक का इस्तेमाल करता है। नए बैक्टीरिया को देख हैरत में पड़े नासा के वैज्ञानिक मारी वॉयटेक ने कहा, 'ये पृथ्वी का ही जीव है लेकिन वैसा नहीं जैसा कि अब तक हम जानते थे।' अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरफ से कराए गए रिसर्च में हुई इस खोज को जीवन के रहस्यों को सुलझाने की दिशा में एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का हिस्सा रही फेलिसा वोल्फेसाइमन कहती हैं, 'हमने पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने का वो दरवाजा ढूंढ लिया है जो जानकारी के महासागर में खुलता है।'
वैज्ञानिकों ने इस बैक्टीरिया को जीएफएजे-1 नाम दिया है ये हैलोमोडेसीएई परिवार का प्रोटियो बैक्टीरिया है जो उन्हें झील की तलहटी से जमा किए गए कीचड़ में मिला। इस बैक्टीरिया की खोज पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावनाओं की तलाश के साथ ही गंदे पानी की सफाई के काम में मदद करेगी। इसके साथ जैव ऊर्जा के उत्पादन में फॉस्फोरस की कमी से जूझने में भी मदद मिलेगी।
पर्यावरण में मौजूद फॉस्फोरस पर काम करने वाले वैज्ञानिक भी इस बैक्टीरिया को देख हैरत में हैं। वैज्ञानिक जेम्स एल्सर ने कहा कि इस खोज के बाद अब विज्ञान की पढ़ाई में कुछ अध्यायों को बदलना पड़ेगा।
ये नया बैक्टीरिया खारापन पसंद करता है और प्रयोगशाला जैसी परिस्थितियों में फॉस्फोरस की पूरी तरह से गैरमौजूदगी में आर्सेनिक का इस्तेमाल करता है। नए बैक्टीरिया को देख हैरत में पड़े नासा के वैज्ञानिक मारी वॉयटेक ने कहा, 'ये पृथ्वी का ही जीव है लेकिन वैसा नहीं जैसा कि अब तक हम जानते थे।' अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरफ से कराए गए रिसर्च में हुई इस खोज को जीवन के रहस्यों को सुलझाने की दिशा में एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का हिस्सा रही फेलिसा वोल्फेसाइमन कहती हैं, 'हमने पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने का वो दरवाजा ढूंढ लिया है जो जानकारी के महासागर में खुलता है।'
वैज्ञानिकों ने इस बैक्टीरिया को जीएफएजे-1 नाम दिया है ये हैलोमोडेसीएई परिवार का प्रोटियो बैक्टीरिया है जो उन्हें झील की तलहटी से जमा किए गए कीचड़ में मिला। इस बैक्टीरिया की खोज पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावनाओं की तलाश के साथ ही गंदे पानी की सफाई के काम में मदद करेगी। इसके साथ जैव ऊर्जा के उत्पादन में फॉस्फोरस की कमी से जूझने में भी मदद मिलेगी।
पर्यावरण में मौजूद फॉस्फोरस पर काम करने वाले वैज्ञानिक भी इस बैक्टीरिया को देख हैरत में हैं। वैज्ञानिक जेम्स एल्सर ने कहा कि इस खोज के बाद अब विज्ञान की पढ़ाई में कुछ अध्यायों को बदलना पड़ेगा।
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