एक ताजा शोध के परिणाम दर्शाते हैं कि अपने किसी रोमांटिक साथी की तस्वीर देखने भर से दर्द का एहसास कम हो सकता है। स्टेनफर्ड विश्वविद्यालय चिकित्सा अध्ययन शाला के जेरेड यंगर और साथियों द्वारा किए गए इस शोध में यह भी पता चला है कि ऐसे रोमांटिक अनुभव के दौरान मस्तिष्क का पारितोषिक तंत्र सक्रिय हो जाता है। मस्तिष्क पारितोषिक तंत्र उस परिपथ को कहते हैं जिसके जरिए हम किसी अनुभव को अपने कार्य के एक खुशनुमा पारितोषिक के रूप में देख पाते हैं। यह देखा गया है कि कई दर्द निवारक रसायन मस्तिष्क के इस तंत्र को सक्रिय करते हैं। इस शोध से जुड़े लोगों का मत है कि यह तरीका कई मामलों में लंबे समय के दर्द के प्रबंधन में कारगर साबित हो सकता है। अध्ययन में मूलत: कुछ युवा लोगों को वालंटीयर्स के तौर पर शामिल किया गया था। उन्हें ताप के कारण होने वाले दर्द की अनुभूति दी गई और फिर उन्हें तीन समूहों में बांट दिया गया। एक समूह के व्यक्तियों को अपने किसी रोमांटिक साथी की तस्वीरें देखने को कहा गया। दूसरे समूह को किसी परिचित व आकर्षक व्यक्ति की तस्वीरों के साथ रखा गया जबकि तीसरे समूह को कोई ऐसा काम करने को दिया गया जो उनका ध्यान बंटाता हो। तीनों समूहों का एमआरआई भी जारी रहा।कहते है कि प्यार में दर्द भी होता है प्यार के इस दर्द को हम कम भी नहीं करना चाहते क्योंकि प्यार एक खूबसूरत एहसास है, लेकिन यदि आप काम में व्यस्त है और आपके सर में दर्द शुरु हो गया है जो प्यार का नहीं आपके काम के टेंशन का दर्द है तो अपने प्रिय साथी का चित्र देखकर इस दर्द से राहत पा सकते हैं।
अपने रोमांटिक साथी की तस्वीर देखने वाले लोगों और ध्यान बंटाने वाले कार्य में लगे लोगों में दर्द का एहसास समान रूप से कम हुआ मगर सिर्फ रोमांटिक साथी की तस्वीरें निहारने वाले व्यक्तियों में ही मस्तिष्क की पारितोषिक प्रणाली सक्रिय हुई। यह बात एमआरआई के आंकड़ों से पता चली जबकि दर्द के एहसास में कमी की बात खुद वालंटियर्स के बयानों पर आधारित थी। इन परिणामों से पता चलता है कि मस्तिष्क के पारितोषिक तंत्र को गैर- औषधीय तरीकों से सक्रिय करने पर भी दर्द से मुक्ति मिल सकती है। हालांकि इस अध्ययन में शामिल लोगों की संख्या बहुत कम थी मगर इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इस अध्ययन के बारे में एक बात और गौरतलब है कि सारे के सारे वालंटियर्स युवा स्नातक छात्र थे। उनमें प्रेम वगैरह की भावनाएं काफी तीव्र होती हैं। दिक्कत यह है कि जीर्ण दर्द के मामले ज्यादातर उम्रदराज लोगों में होते हैं। उनके संदर्भ में किसकी तस्वीर दिखाने से काम चलेगा, यह स्पष्ट नहीं है। बहरहाल, अध्ययन से इतना तो स्पष्ट है कि दर्द से मुक्त के लिए गैर- औषधीय तरीके भी हैं। (स्रोत फीचर्स)
वाह भई वाह
कॉलेज
संता सिंह ने एक कॉलेज खोला... पर सारे स्टुडेंट कनफ्यूज्ड थे कि किस कोर्स में एडमिशन लें...? क्योंकि ... कॉलेज का नाम था- संता सिंह्स मेडिकल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग फॉर कॉमर्स एंड आर्ट्स।
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