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चेजर न सिर्फ शब्द सुनकर उससे सम्बंधित वस्तु को पहचान सकता है बल्कि वह उन चीजों को उनके आकार व काम के मुताबिक वर्गीकृत भी कर सकता है। शोधकर्ता मानते हैं कि इन्सान का बच्चा यह सब तीन वर्ष की उम्र में सीखता है।
चेजर के साथ यह प्रयोग स्पार्टनबर्ग के वोफोर्ड कॉलेज के मनोविज्ञानी एलिस्टन रीड और जॉन पाइली ने किया है। चेजर को प्रशिक्षित करने का तरीका यह था कि उसे एक- एक चीज से परिचित कराया जाता था और उसका नाम बताया जाता था। इसके बाद उससे कहा जाता था कि दूसरे कमरे में रखी कई सारी चीजों में से वह वस्तु उठाकर लाए। जब वह सही वस्तु ले आता था तो फिर से उसका नाम दोहराकर पुष्टि की जाती थी।
चेजर की परीक्षा भी ली जाती थी। जैसे एक कमरे में 20 खिलौने रखकर चेजर से कहा जाता था कि वह नाम सुनकर उनमें से सही खिलौना उठाकर लाए। चेजर ने 3 साल की अवधि में ऐसी 838 परीक्षाएं दीं और उसे 20 में 18 से कम अंक कभी नहीं मिले।
चेजर से वस्तुओं के नामों के आधार पर वर्गीकरण भी करवाया गया। इसके लिए उसे यह सिखाया गया था कि किसी एक समूह की वस्तुओं को वह अपने पंजे से छुएगा तो किसी अन्य समूह की वस्तुओं को अपनी नाक से छूकर बताएगा। इसमें भी वह काफी सफल रहा।
और तो और चेजर को एक ढेर में ऐसी वस्तुएं दिखाई गईं, जिनमें से एक के अलावा शेष सभी के नाम वह जानता था। अब उससे एक अपरिचित नाम वाली वस्तु को उठाने को कहा गया। चेजर ने बगैर चूके वह नई वाली वस्तु उठाई। यानी वह यह तर्क लगा सकता है कि यदि नाम नया है तो वस्तु वही होगी जिसका नाम वह नहीं जानता।
इससे पहले भी जानवरों को सिखाने के कई प्रयोग हो चुके हैं। जैसे एक प्रयोग में एक कुत्ते रिको ने 200 शब्द सीखे थे। इसी प्रकार से एलेक्स नाम के तोते ने 100 शब्द भी सीखे थे और वह उनके वाक्य भी बना लेता था। चेजर ने इस मामले में उन दोनों को पीछे छोड़ दिया है। मगर एलेक्स न सिर्फ शब्द पहचानता था, वह उन्हें बोल भी सकता था। चेजर इस मामले में एकदम फिसड्डी है।
चेजर के साथ यह प्रयोग स्पार्टनबर्ग के वोफोर्ड कॉलेज के मनोविज्ञानी एलिस्टन रीड और जॉन पाइली ने किया है। चेजर को प्रशिक्षित करने का तरीका यह था कि उसे एक- एक चीज से परिचित कराया जाता था और उसका नाम बताया जाता था। इसके बाद उससे कहा जाता था कि दूसरे कमरे में रखी कई सारी चीजों में से वह वस्तु उठाकर लाए। जब वह सही वस्तु ले आता था तो फिर से उसका नाम दोहराकर पुष्टि की जाती थी।
चेजर की परीक्षा भी ली जाती थी। जैसे एक कमरे में 20 खिलौने रखकर चेजर से कहा जाता था कि वह नाम सुनकर उनमें से सही खिलौना उठाकर लाए। चेजर ने 3 साल की अवधि में ऐसी 838 परीक्षाएं दीं और उसे 20 में 18 से कम अंक कभी नहीं मिले।
चेजर से वस्तुओं के नामों के आधार पर वर्गीकरण भी करवाया गया। इसके लिए उसे यह सिखाया गया था कि किसी एक समूह की वस्तुओं को वह अपने पंजे से छुएगा तो किसी अन्य समूह की वस्तुओं को अपनी नाक से छूकर बताएगा। इसमें भी वह काफी सफल रहा।
और तो और चेजर को एक ढेर में ऐसी वस्तुएं दिखाई गईं, जिनमें से एक के अलावा शेष सभी के नाम वह जानता था। अब उससे एक अपरिचित नाम वाली वस्तु को उठाने को कहा गया। चेजर ने बगैर चूके वह नई वाली वस्तु उठाई। यानी वह यह तर्क लगा सकता है कि यदि नाम नया है तो वस्तु वही होगी जिसका नाम वह नहीं जानता।
इससे पहले भी जानवरों को सिखाने के कई प्रयोग हो चुके हैं। जैसे एक प्रयोग में एक कुत्ते रिको ने 200 शब्द सीखे थे। इसी प्रकार से एलेक्स नाम के तोते ने 100 शब्द भी सीखे थे और वह उनके वाक्य भी बना लेता था। चेजर ने इस मामले में उन दोनों को पीछे छोड़ दिया है। मगर एलेक्स न सिर्फ शब्द पहचानता था, वह उन्हें बोल भी सकता था। चेजर इस मामले में एकदम फिसड्डी है।
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